Dialysis Meaning in Hindi - जब किसी की किडनी खराब हो जाती है तो एक कृत्रिम किडनी के माध्यम से किडनी का काम करवाया जाता है जिसे हम बोलचाल की भाषा में डायलिसिस (Dialysis) कहते हैं।
आइए जानते हैं की डायलिसिस (Dialysis) क्या होती है, डायलिसिस (Dialysis) क्यों करवाई जाती है, डायलिसिस (Dialysis) का पूरा प्रोसेस क्या होता है, क्या डायलिसिस के बाद मरीज ठीक हो जाता है?
डायलिसिस कब करना पड़ता है - What is Dialysis in Hindi
जब हमारे गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं या गुर्दे अपना काम सुचारू रूप से नहीं कर पाते तब हमें डायलिसिस की जरूरत पड़ती है।
गुर्दों का मुख्य काम है हमारे खून से अपशिष्ट पदार्थों को निकालना, एक्स्ट्रा फ्लूइड को निकालना और खून में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बनाए रखना।
जब किसी कारणवश किडनी ये काम ढंग से नहीं कर पाती या बिल्कुल ही काम करना बन्द कर देती है तभी हमें डायलिसिस की आवश्कता पड़ती है।
सामान्यतः जब क्रिएटिनिन लेवल 2 से बड़ने लगता है और EGFR रेट घटकर 30 हो जाता है तभी डॉक्टर डायलिसिस के लिए बोलते हैं।
कई बार वायरल फीवर या डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों में भी क्रिएटिनिन लेवल बड़ जाता है।
इसीलिए डॉक्टर सारी कंडीशन और टेस्ट के रिजल्ट देखने के बाद ही डायलिसीस की सलाह देते हैं।
किडनी फेल होने के लक्षण - Symptoms of Kidney Failure in Hindi
1) पैरों और टखनों में सूजन
2) बहुत ज्यादा थकान होना
3) लगातार वॉमिट महसूस होना
4) पेशाब कम होना
5) सांस लेने में दिक्कत आना
6) पीठ और पेट के निचले हिस्से में दर्द
7) कभी कभी यूरीन में खून आना
डायलिसिस कितने प्रकार की होती है - Types of Dialysis in Hindi
डायलिसिस तीन प्रकार की होती है एक हीमोडिलीसिस पेरिटोनियल, डायलिसिस और कंटीन्यूअस रिनल रिप्लेसमेंट थेरेपी। आईए जानते हैं तीनों डायलिसिस के बारे में
हीमो डायलिसिस - Hemo Dialysis in Hindi
ज्यादातर मरीजों को हीमो डायलिसिस ही की जाती है। हीमो डायलिसिस में एक आर्टिफिशियल किडनी (हीमो डायजलर) का उपयोग किया जाता है हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों और एक्स्ट्रा फ्लूड को निकालने में।
इसमें हमारे शरीर के रक्त को हीमोडायजलर की सहायता से साफ करके फिर से शरीर में पहुंचा दिया जाता है।
हीमो डाइलिसिस करते समय शरीर से 200 से 400 मिलीलीटर प्रती मिनट के हिसाब से रक्त निकाला जाता है।
चूंकि इसका प्रवाह ज्यादा होता है की हाथ या पैरों की नसों से नहीं निकाल सकते इसलिए सबसे पहले डॉक्टर एक छोटी सी सर्जरी करके एक इंट्री प्वाइंट बनाते हैं फिर वहां से ब्लड को हीमोडायजलर की सहायता से साफ करते हैं।
हीमोडायलिसिस आमतौर पर हफ्ते में तीन बार और एक बार में चार घंटे तक किया जाता है।
पेरीटोनियल डायलिसिस - Peritoneal Dialysis in Hindi
इस प्रकार की डायलिसिस में पेट के नीचे एक छोटा सा छेद करके एक नलिका पेरीटोनियल कैथेटर लगा देते हैं।
यह कैथेटर पेशेंट के खून को एक झिल्ली के माध्यम से साफ करने में मदत करता है।
इस प्रोसेस के दौरान एक खास तरल पदार्थ जिसे डायलिसेट (Dialysate) कहते हैं उसे कैथेटर के माध्यम से शरीर में डाला जाता है।
यह कुछ समय तक शरीर में ही रहता है और यह रक्त के अपशिष्ट पदार्थों और एक्स्ट्रा फ्लूइड को सोख लेता है।
बाद में डायलिसेट को शरीर के बाहर निकाल दिया जाता है। यह प्रोसेस दिन में 3 से 4 बार दोहराया जाता है।
कंटीन्यूअस रिनल रिप्लेसमेंट थेरेपी
इस प्रोसेस का इस्तेमाल उन मरीजों पर किया जाता है जिनकी किडनी पूरी तरह से खराब हो चुकी हो।
इसमें एक मशीन को ट्यूबिंग की सहायता से मरीज के शरीर से जोड़ दिया जाता है और वह मशीन रक्त को साफ किया करती है। यह डायलिसिस बहुत ही आराम से 24 घंटे में की जाती है।
क्या डायलिसिस बंद हो सकती है
आप कब तक डायलिसिस पर रह सकते हैं यह सवाल हर डायलिसिस के मरीज को आता है।
डायलिसिस शुरू होने के ज्यादातर मामलों में आपको या तो जीवन पर्यन्त डायलिसिस करवाना पड़ेगा अथवा आपको किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ेगा।
अक्सर ये देखा गया है की जो मरीज डायलिसिस पर होते हैं उनकी औसत आयु 5 या 10 साल ही बच पाती है। हालंकि कुछ मामलों में यह 20 साल भी देखी गई है।
किडनी के मरीज की तरह क्रिएटिनिन का ध्यान रखें
1) किडनी के मरीजों को लिक्विड पदार्थ डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए। ज्यादा तरल पदार्थ लेने से आपका क्रिएटिनिन का स्तर बड़ सकता है।
2) सोडियम यानी की नमक का सेवन बहुत कम कर देना चाहिए। ज्यादा नमक का सेवन आपकी किडनी के लिए नुकसानदेह है।
3) दर्द निवारक दवाएं कम से कम लें या डॉक्टर की सलाह से ही लें। पेन किलर आपकी किडनी को और खराब कर सकती है।
4) बेवजह पेशाब को ना रोकें। पेशाब को रोकने से आपके किडनी पर बेवजह दवाब पड़ता है और वो गंभीर रुप से डैमेज हो सकतीं हैं।
5) ज्यादा मात्रा में प्रोटीन ना लें और विटामिन D & विटामिन C का डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित सेवन करते रहें।
डायलिसिस करवाने का कितना खर्चा आता है
डायलिसिस करवाने का खर्चा लगभग 2000 रुपए प्रति डायलिसिस आता है। पूरे महीने में करीब करीब 15,000 से 20,000 का खर्चा होता है। हालांकि यह रेट हर शहर के हिसाब से कम या ज्यादा भी हो सकता है।
क्या डायलिसिस करवाने में दर्द होता है
डायलीसिस एक दर्द रहित प्रकिया है इसमें आपको दर्द नही होता।
लेकिन डायलीसिस होने के बाद मरीज को लो ब्लडप्रेशर, मुंह का सूखा लगना, खुजली होना, इंफेक्शन होना, मांशपेशियों में दर्द और घबराहट जैसे लक्षण आ सकते हैं।
लेकिन जैसे ही आपको डायलीसिस की आदत पड जाती है इनमें से काफी सारी दिक्कतें दूर हो जाती हैं।
डायलिसिस के बाद क्या नहीं खाना चाहिए
डायलिसिस के बाद ब्राउन राइस, केला, संतरा, डेयरी उत्पाद, डिब्बाबंद भोजन, जंक फूड, कोल्डड्रिंक, सब्जियां, फलों इत्यादि नहीं खाना चाहिए।
क्या डायलीसिस से किडनी ठीक हो जाती है
डायलीसिस एक अस्थाई व्यवस्था है जो आपके रक्त को साफ करने का काम करती है।
यह कोई परमानेंट सॉल्यूशन नहीं है। आपकी किडनी की बीमारी को पूरी तरह ठीक करने के लिए जीवन पर्यंत डायलीसिस से गुजरना पड़ेगा या आपको गुर्दे का प्रत्यारोपण करवाना पड़ेगा।
किडनी ट्रांसप्लांट में कितना खर्चा आता है
किडनी ट्रांसप्लांट में लगभग 15 से 20 लाख का खर्चा आता है। यह खर्चा आप किस जगह करवा रहें हैं उस पर भी डिपेंड करता है। यह काफी महंगी शल्य प्रक्रिया है।
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की लाइफ कितनी होती है
किडनी प्रत्यारोपण के बाद अधिकतर मामलों में देखा गया है की मरीज अधिक से अधिक 3-5 साल ही जिंदा रह पाता है। हालंकी कई मामलों में यह 5-7 साल तक भी हो जाता है।
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बीमारी