डेंगू के कारण भारत में हर साल हजारों लोगों की जान जाती है। मच्छरों से फैलने वाली ये बीमारी बहुत ही खतरनाक होती है।
इसमें तेज बुखार के साथ खांसी, जोड़ों में दर्द, जी मचलाना, उल्टी होना, आंखों में दर्द ईत्यादि लक्षण होते हैं।
इसके बाद हमारे ब्लड में प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं और एक समय ये 20,000 के नीचे पहुंच जाते हैं।
इस वक्त मरीज को प्लेटलेट्स चड़वाने पड़ते हैं और अगर सही समय पर प्लेटलेट्स ना चड़वाए जाएं तो इंटरनल ब्लीडिंग से मरीज को मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है और मृत्यु हो जाती है।
क्या कहती है स्टडी
जब मरीज के प्लेटलेट्स कम होना शुरू होते हैं जैसे की डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स 1 लाख के नीचे आने पर ही अगर ढंग से ईलाज करवा दिया जाए तो प्लेटलेट्स चढ़वाने की नौबत ही नहीं आएगी।
इसके लिए मरीज को खूब सारा लिक्विड डाइट जैसे पानी, जूस, नारियल पानी, सूप, गीली खिचड़ी, फल, पपीते के पत्ते का जूस आदि लेना पड़ता है और आराम करना होता है।
पपीते के पत्ते को लेकर कहा जाता है की यह प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ाता है
और मरीज के प्लेटलेट्स को एक से दो दिन के भीतर ही एक लाख के ऊपर पहुंचा देता है। आखिर ऐसा क्या है जो यह प्लेटलेट्स को बढ़ाता है।
एक स्टडी के मुताबिक पपीते के पत्ते में Papain, Chymopapain, Cystatin, L-tocopherol, Ascorbic Acid, Flavonoids, Cyanogenic Glycosides, Glucosinolates, पाए जाते हैं।
ये सभी एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।
पपीते के पत्ते के रस को लेकर वैसे तो कोई बहुत बड़ी स्टडी नहीं हुई है लेकिन छोटे छोटे जानवरों के समूह में मलेशिया में इसके ट्रायल किए गए हैं
और इस ट्रायल में देखा गया है की पपीते के पत्ते का रस देने पर उनमें प्लेटलेट्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इसी तरह छोटे छोटे समूहों में कई ट्रायल किए गए हैं।
हालांकि अभी तक एलोपैथी में इसको लेकर कोई भी ट्रायल नहीं हुआ है लेकिन इतना तो है की पपीते के पत्ते का रस पीने से कोई नुकसान नहीं है। यह शरीर को फायदा ही पहुंचाएगा।
वैसे भी पपीते के पत्ते का रस हमारे पूर्वज सदियों से इस्तेमाल कर रहें हैं और डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों में यह कारगर ही सिद्ध हुआ है।
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Allopathy me kisi bhi to rog ka samuchit nidan nahi hai
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