Aplastic Anemia Meaning in Hindi - आप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें हमारा बोन मैरो पर्याप्त मात्रा में रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स नहीं बना पाता।
पर्याप्त मात्रा में रेड ब्लड सेल्स ना बनने के कारण हमारा हीमोग्लिबिन कम हो जाता है और हमें आप्लास्टिक एनीमिया हो जाता है।
अप्लास्टिक एनीमिया कितने प्रकार का होता है - Types of Aplastic Anemia in Hindi
आप्लास्टिक एनीमिया मुख्यता दो प्रकार का होता है।
इनहेरिटेड आप्लास्टिक एनीमिया - Inherited Aplastic Anemia in Hindi
इस प्रकार का एनीमिया हमारे जीन में म्यूटेशन के कारण हो जाता है। यह ज्यादातर बच्चों में और जवानों में पाया जाता है। इस प्रकार के एनीमिया में ल्यूकेमिया और दूसरे कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है।
Acquired आप्लास्टिक एनीमिया - Acquired Aplastic Anemia in Hindi
इस एनीमिया में हमारा इम्यून सिस्टम हमारे ही स्टेम सेल्स के विरूद्ध काम करने लगता है। यह जयादातार बड़ों में होता है।
इसके होने का मुख्य कारण HIV, कुछ दवाईयां, कुछ विशेष प्रकार के केमिकल्स और जो रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी पर होते हैं उनको होने की संभावना ज्यादा होती है।
आप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण Symptoms of Aplastic Anemia in Hindi
1) थकान
2) सांस फूलना
3) लगातार इंफेक्शन होना
4) पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग
5) हल्की सी चोट में भी ब्लीडिंग बंद ना होना
6) अनियमित हृदय की धड़कन
7) हल्की पीली रंग की त्वचा
अप्लास्टिक एनीमिया होने के कारण - Causes of Aplastic Anemia in Hindi
अप्लास्टिक एनीमिया होने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार ये बिना कारण हो जाता है। कुछ मुख्य कारण हैं जैसे
1) कुछ वायरस जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस, इप्सटेन बर्र वायरस, CMV वाइरस के कारण अप्लास्टिक एनीमिया हो जाता है।
2) कुछ एंटीबायोटिक्स और एंटी कंवलसेंट के कारण भी अप्लास्टिक एनीमिया हो जाता है।
3) जिन लोगों की कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी चल रही होती है उनको भी अप्लास्टिक एनीमिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
4) जिनका पारिवारिक इतिहास रहा हो अप्लास्टिक एनीमिया का उनको भी होने की संभावना रहती है।
5) गर्भावस्था में भी अप्लास्टिक एनीमिया हो जाता है
6) यह ऑटोइम्यून भी हो सकता है जब हमारे शरीर का रक्षा तंत्र हमारे ही स्टेम सेल्स के विरूद्ध काम करने लगता है।
अप्लास्टिक एनीमिया की जांच - Diagnosis Aplastic Anemia in Hindi
अप्लास्टिक एनीमिया की जांच के लिए मुख्यता दो प्रकार के टेस्ट होते हैं CBC और बोन मैरो की बायोप्सी। इन टेस्ट से अपलास्टिक एनीमिया की जांच की जाती है।
अप्लास्टिक एनीमिया का ईलाज - Treatment of Aplastic Anemia in Hindi
अप्लास्टिक एनीमिया में जब तक आपके RBC, WBC और Platelets Count की वैल्यू नॉर्मल है तब तक आपको चिंता करने की कोई बात नहीं। इसके नीचे जाने पर ही डॉक्टर इसकी गंभीरता के अनुसार ईलाज करते हैं।
ब्लड ट्रांसफ्यूजन Blood Transfusion
ब्लड ट्रांसफ्यूजन इसका एक वैकल्पिक उपचार हो सकता है। लेकिन यह इसे पूरी तरह क्योर नहीं करता।
ब्लड ट्रांसफ्यूजन से आप अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षणों से मुक्ति पा सकते हैं और लगातार ब्लीडिंग होना जैसी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
लेकिन यह इसका स्थाई इलाज नहीं है। कई बार आपको लगातार ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाना पड़ता है।
लगातार ट्रांसफ्यूजन होने पर कई बार हमारा शरीर ट्रांसफ्यूज ब्लड सेल्स के विरुद्ध एंटीबॉडी बना लेता है और फिर हमें साथ में इम्यूनोंसप्रेसेंट देना पड़ता है।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट Stem Cell Transplant
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट या बोन मैरो ट्रांसप्लांट इसका एक उपचार हो सकता है। इसमें डोनर के शरीर का स्टेम सेल लेकर मरीज के शरीर में दाल दिए जाते हैं जहां पर डोनेट किए गए स्टेम सेल्स बोन मैरो कैविटी में जाकर नए ब्लड सेल्स बनाने शुरु कर देते हैं।
कई बार हमारा शरीर डोनेट किए गए स्टेम सेल्स को रिजेक्ट कर देता है।
इस स्तिथि से बचने के लिए आपको किसी पारिवारिक सदस्य से ही स्टेम सेल्स लेने चाहिए।
इम्यूनोंसप्रेसेंट Immunosuppressant
जिन लोगों को अप्लास्टिक एनीमिया ऑटोइम्यून स्तिथि के कारण होता है या ऐसे लोग जो स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांट नहीं करवा पाते उनको इम्यूनोंसप्रेसेंट थेरेपी पर रखा जाता है।
इसमें हमारे इम्यून सिस्टम को दबाने वाली दवाईयां दी जाती है।
यह एक बहुत ही अच्छा ईलाज है लेकिन इम्यूनोसप्रेसेंट लेने पर हमारा शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है और हमें दूसरी बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा जब आप ये दवाई बंद कर देते हैं तो मर्ज फिर से लौट आता है।
बोन मैरो उत्प्रेरक Bone Marrow Stimulants
कुछ दवाईयां ऐसी होती हैं जो बोन मैरो स्टिमुल की तरह काम करती हैं और हमारे बोन मैरो को अधिक ब्लड सेल्स बनाने के लिए प्रेरित करती हैं।
अन्य उपचार
कई बार डॉक्टर्स अप्लास्टिक एनीमिया के कारण हुए इंफेक्शन से बचने के लिए एंटीबायोटिक और एंटीवायरल चलाते हैं।
जिससे की अप्लास्टिक एनीमिया के कारण होने वाले इन्फेक्शन को रोका जाता है।
गर्भवती महिलाओं को ज्यादातर ब्लड ट्रांसफ्यूजन की थेरेपी ही की जाती हैं। कई बार प्रेगनेंसी के दौरान अप्लास्टिक एनीमिया हो जाता है जो डिलीवरी के कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाता है।
अप्लास्टिक एनीमिया में क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए - What Precautions Should Be Taken For Aplastic Anemia
अप्लास्टिक एनीमिया होने पर आपको कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए
1) भीड़ से यथासंभव दूर रहें
2) अपने हाथ अच्छी तरह से और लगातार धोए
3) चोट का विशेष ध्यान दें, ध्यान रहे को आपको ज्यादा चोट ना लगे
4) वायरल फ्लू की वैक्सीन हर साल ले
5) अधिक ऊंचाइयों वाली जगह मत जाएं
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बीमारी