जीका वायरस (Zika Virus in Hindi) सबसे पहले सन् 1947 में युगांडा में बंदरो में पाया गया था और इसके बाद यह 1952 में युगांडा में ही इंसानों में पाया गया।
जीका वायरस उन मच्छरों से फैलता है जो एडीज से इनफेक्टेड होते हैं। जो मच्छर डेंगू, येलो फीवर और चिकुनगुनिया फैलाते हैं वही मच्छर जीका वायरस भी फैलाते हैं।
अगर किसी को जीका वायरस का इंफेक्शन हुआ है और उसको किसी मच्छर ने काटा और फिर किसी स्वस्थ इन्सान को काट लिया तो उस स्वस्थ इन्सान को जीका वायरस का इन्फेक्शन हो सकता है।
यह वायरस इतना खतरनाक होता है की अगर किसी जीका वायरस से इनफेक्टेड मच्छर ने किसी प्रेगनेंट महिला को काट लिया तो इस वायरस का इंफेक्शन उस महिला के बच्चे तक को हो सकता है।
अगर किसी प्रेगनेंट महिला को जीका वाइरस का इंफेक्शन हो गया तो उसके बच्चे अपूर्ण विकसित हो सकते हैं और तो और इसके इंफेक्शन से मिसकैरिज तक हो जाता है।
जीका वायरस से Guillain Barre Syndrome हो जाता है जिसमे हमारा इम्यून सिस्टम हमारे ही नर्वस सिस्टम पर हमला कर देता है। यह वायरस सेक्स से भी फैलता है।
कुछ स्टडी में बताया गया है की यह ब्लड, सीमेन, यूरीन, लार और बॉडी फ्लूड्स से भी फैलता है। जीका वायरस को लेकर सबसे डरावनी बात ये है की इसकी ना तो कोई वैक्सीन है और ना ही कोई दवाई।
जीका वायरस (Zika Virus) होने के लक्षण
जीका वायरस इनफेक्टेड मच्छर के काटने के बाद 3 से 14 दिन तक कभी भी आपको इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
जीका वायरस होने के लक्षण हैं हल्का बुखार, जोड़ों में दर्द, सर दर्द, बेचैनी, कंजक्टिवाइटिस और स्किन में रैशेज पड़ जाना।
लेकिन जीका वायरस की सबसे परेशान करने वाली बात ये है की इससे संक्रमित व्यक्ति को ज्यादातर मामलों में कोई लक्षण नहीं होते, जो इस बीमारी को और भी गंभीर बना देता है।
वैसे जीका वायरस के अधिकतर मामलों में ना तो होस्पिटलाइजेशन करना पड़ता है और ना ही इससे इंसान की मौत होती है।
लेकिन जीका वायरस का सबसे खतरनाक असर प्रेगनेंट औरत पर पड़ता है और उसके पेट में पल रहे बच्चे के लिए यह प्राणघातक होता है।
जीका वाइरस (Zika Virus) की जांच
जीका वायरस इनफेक्टेड व्यक्ति अधिकतर मामलों में कोई भी लक्षण नहीं आते।
इसलिए इसकी पहचान करने के लिए व्यक्ति का विवरण लिया जाता है की क्या उसने जीका वायरस प्रभावित क्षेत्र में भ्रमण किया है।
इसके अलावा मरीज के ब्लड से या बॉडी फ्लूइड से इस वायरस की जांच लैब में की जाती है।
क्या है जीका वायरस (Zika Virus) का इलाज
जीका वायरस होने पर आपको सिर्फ आराम करना है। कोई भी काम मत करें। खुद को हाइड्रेटेड रखें और खूब सारा लिक्विड लें।
सिर्फ इसके लक्षणों के अनुसार ही दवाई लें जैसे बुखार आने पर पैरासिटामोल या दर्द होने पर दर्द निवारक दवा। खून को पतला करने वाली कोई भी दवाई ना लें ऐसी दवाईयां घातक हो सकती हैं।
अगर आप हार्ट के मरीज हैं तो डाक्टर की सलाह अनुसार ही दवा लें।
एक बार जीका वायरस होने के बाद आपको दुबारा जीका वायरस होने के चांसेज बहुत ही कम हैं क्युकी हमारी बॉडी जीका वायरस के लिए एंटीबॉडी बना लेती है।
यह एंटीबॉडी मरीज के शरीर में कम से कम 3 महीने तक तो रहती ही है और कई मरीजों में यह साल भर तक भी बनी रहती है।
जीका वायरस (Zika Virus) से कैसे बचें
जीका वायरस से बचने का सबसे अच्छा तरीका है की आप जीका संक्रमित क्षेत्रों में ना जाए। मच्छरों से यथासंभव बचें। मच्छरों को दूर भगाने या मारने वाले उपकरणों का प्रयोग करें।
जीका वायरस के मच्छर दिन में काटते हैं इसलिए दिन में पूरी बांह के कपड़े पहने और अपने आस पास मच्छरों को पनपने ना दें।
क्या जीका वाइरस (Zika Virus) से मौत हो सकती है?
जीका वाइरस से मौत नहीं होती यह वायरस सिर्फ प्रेग्नेंट औरतों के लिए खतरनाक होता है।
इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर बहुत खतरनाक असर होता है और कई मामलों में या तो गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो जाती है या बच्चा अविकसित या फिर माइक्रोसेफली (microcephaly) बीमारी से ग्रसित पैदा होता है।
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