डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic Ketoacidosis-DKA) एक ऐसी मेडिकल इमरजेंसी होती है जिसमें मरीज के शरीर में शुगर का स्तर बहुत बढ़ जाता है और इन्सुलिन ना होने या कम होने की वजह से ब्लड एसिड्स (Diabetic ketoacidosis meaning in hindi) की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है।
अगर डायबिटिक कीटोएसिडोसिस का ईलाज ना किया जाए तो मरीज कोमा में जा सकता है या मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
यह मुख्यता टाईप-1 डाइबिटीज वाले मरीजों को ज्यादा होती है। अमेरिका में हर साल 1,00,000 मरीज और भारत में हर साल 10,00,000 मरीज को डायबिटिक कीटोएसिडोसिस के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है।
डायबिटीज़ कीटोएसिडोसिस के शुरुआती लक्षण Diabetic ketoacidosis symptoms in hindi
1) बहुत प्यास लगना
2) बार बार पेशाब जाना
3) ब्लड शुगर स्तर का बहुत बढ़ा होना
4) पेशाब में केटोंस का लेवल बढ़ा होना
डायबिटीज़ कीटोएसिडोसिस के गंभीर लक्षण
1) बहुत ही कमजोर महसूस करना
2) लगातार नींद जैसा महसूस होना या सोना
3) सूखी और फ्लशी त्वचा
4) उल्टी या उल्टी जैसा महसूस होना
5) पेट में दर्द होना
6) सांस लेने में दिक्कत होना
7) फल के जैसी गंध महसूस होना
8) भ्रमित होना
डायबिटीज़ कीटोएसिडोसिस की जांच Diabetic ketoacidosis diagnosis in hindi
जब कभी आपको ऊपर दिए गए लक्षणों में कोई लक्षण दिखाई दे या आपका ब्लड शुगर लेवल 250 mg/DL से अधिक हो तो आपको अपने कीटोन (यूरीन) की जांच करवानी चाहिए। अगर यह जांच सामान्य नहीं आती है तो फिर आपको नीचे दी गई सारी जांचें तुरंत करवानी चाहिए।
1) इलेक्ट्रोलाइट्स
2) यूरीन एनालिसिस
3) ABG टेस्ट
4) ब्लड प्रेशर
5) चेस्ट एक्स-रे
6) ईसीजी
डायबिटीज़ कीटोएसिडोसिस होने का कारण Diabetic ketoacidosis causes in hindi
शुगर हमारे शरीर के सेल्स के लिए ऊर्जा का एक मुख्य सोर्स होता है। हमारे शरीर से निकलने वाली इन्सुलिन शुगर को सेल में पहुंचाने में सहायता करती है।
जब हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन नहीं बना पाता तो शुगर हमारे सेल्स में नही जा पाती और यह हमारे ब्लड में जमा हुआ करती है।
अब सेल्स के पास ऊर्जा के लिए शुगर नहीं होती क्योंकि इन्सुलिन नहीं है तो सेल्स हमारे शरीर के फैट को इस्तेमाल करने में लग जाती है और फैट को टूटने से जो पदार्थ (fuel) बनता है उसे कीटोन कहते हैं।
जब हमारे ब्लड में अधिक कीटोन जमा हो जाता है तो हमारा ब्लड एसिडिक हो जाता है। यह एसिडिक ब्लड हमारे ब्रेन में सूजन पैदा कर देता है और यह कंडीशन बहुत खतरनाक होती है।
इसमें मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मृत्यु भी हो सकती है। इसी स्तिथि को डायबिटीज़ कीटोएसिडोसिस कहते हैं।
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस होने की संभावना तब अधिक होती है जब मरीज को कोई लंबे समय से बीमारी होती है जैसे निमोनिया या मूत्र मार्ग में संक्रमण।
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस इन दोनों बीमारियों की वजह से सबसे ज्यादा होता है। जो मरीज अपनी इंसुलिन भूल जाते हैं या मिस कर देते हैं उनको भी डायबिटिक कीटोएसिडोसिस होने की संभावना सबसे अधिक होती है।
इसके अलावा कोई दुर्घटना होने पर, ज्यादा तनाव लेने पर, पैंक्रीटाइटिस होने पर, गर्भावस्था, शराब का सेवन और कोर्टिकोस्टेरॉयड का दुरुपयोग करने पर भी डायबिटिक कीटोएसिडोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है।
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस का उपचार Diabetic ketoacidosis treatment in hindi
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस के उपचार के लिए मरीज को तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती करवाना चाहिए। डायबिटिक कीटोएसिडोसिस का अगर ईलाज ना किया जाए तो मरीज कोमा में जा सकता है या मरीज की मृत्यु हो सकती है।
इसमें मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती करने के बाद तुरंत आइवी (IV) की सहायता से इंसुलिन दिया जाता है ताकि कीटोन का लेवल कम किया जा सके।
इसके बाद मरीज को हाइड्रेट करने और मिनरल्स का स्तर बनाए रखने के लिए फ्लूडस के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स दिया जाता है। इंफेक्शन की स्तिथि में मरीज को एंटीबायोटिक दी जाती है।
इसके बाद मरीज के दूसरे लक्षणों का उपचार किया जाता है। इन सारे उपचारों के लिए मरीज का हॉस्पिटलाइजेशन जरूरी है।
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस को कैसे रोकें
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस को रोकने के लिए आपको डाइबिटीज को सही से मैनेज करना होगा। कभी भी डायबिटीज़ की दवाएं या इंसुलिन मिस ना करें।
अपनी डाइट को संतुलित रखें और पानी लगातार पीते रहें। रोजाना एक्सरसाइज करें और अपना वजन नियंत्रित रखें। अपनी ब्लड शुगर को नियमित जांचते रहें।
अपने यूरीन की जांच हर महीने करवाते रहें और शरीर में कोई भी संक्रमण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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