Sepsis Meaning in Hindi - आज हम बात करेंगे की सेप्सिस क्या होता है और इसके होने पर क्या क्या लक्षण आते हैं और क्या सेप्सिस होने पर मरीज बच सकता है।
सेप्सिस क्या होता है - What is Sepsis in hindi
सेप्सिस हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम का किसी इंफेक्शन के विरुद्ध अचानक और तीव्र प्रतिक्रिया होती है।
इस स्तिथि में हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम किसी इंफेक्शन के विरुद्ध लड़ने के लिए ढेर सारे केमिकल ब्लड में छोड़ देता है ताकी हमारा शरीर इंफेक्शन के विरुद्ध लड़ पाए।
सेप्सिस एक बहुत खतरनाक स्तिथि होती है। अगर सेप्सिस में मरीज का तुरंत ईलाज ना किया जाए तो मरीज के अंग डैमेज होने लगते हैं और उसकी मृत्यु हो सकती है।
सेप्सिस का कारण क्या होता है - Reason of Sepsis in Hindi
सेप्सिस का सबसे मुख्य कारण बैक्टिरियल इंफेक्शन होता है। सेप्सिस मुख्यता हमारे फेफड़ों, लिवर, किड़नी और ब्लैडर में इंफेक्शन के कारण होता है।
कई बार सेप्सिस फंगल और वायरल इंफेक्शन (Covid-19) के कारण भी हो जाता है।
सेप्सिस के लक्षण क्या होते हैं - Symptoms of Sepsis in Hindi
1) हृदय की धड़कन का बढ़ जाना और ब्लड प्रेशर का कम हो जाना
2) बुखार, ठंड और कंपकपाहट
3) मरीज का भ्रमित होना
4) सांसों का फूलना
5) बहुत ज्यादा दर्द और असहज महसूस करना
6) चिपचिपी या पसीने से भरी हुई स्किन
सेप्सिस कैसे पता लगाएं - Diagnosis of Sepsis in Hindi
सेप्सिस होने पर डॉक्टर सबसे पहले मरीज का परिक्षण करता है फिर उसके बाद कुछ टेस्ट की सहायता से पता लगाता है की सेप्सिस किस स्टेज पर है। जैसे
1) CBC टेस्ट में WBC और प्लेटलेट्स की वैल्यू
2) CRP
3) LDH
4) Electrolytes
5) ऑक्सीजन लेवल का कम होना
6) एक्सरे और CT स्कैन
7) LFT और KFT की जांच
8) एसिडोसिस (Acidosis) की जांच
9) ब्लड कल्चर की जांच
इन सब जांचों और लक्षणों की सहायता से डॉक्टर सेप्सिस का पता लगाता है।
सेप्सिस का ईलाज कैसे किया जाता है - Treatment of Sepsis in Hindi
सेप्सिस के इलाज में सबसे पहले डॉक्टर इंफेक्शन के मुख्य कारण को ठीक करता है और मरीज को एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं।
मरीज को इलेक्ट्रोलाइट्स चढ़ाया जाता है और शरीर में फ्लूइड की मात्रा सही रखी जाती है।
मरीज को ऑक्सीजन पर रखा जाता है ताकि ऑक्सीजन का स्तर कम ना होने पाए।
मरीज के सुगर के स्तर को सामान्य रखा जाता है और शरीर में अगर कहीं क्लॉटिंग यानि की ब्लड जम रहा हो तो उसकी दवाई दी जाती है।
इन सबके अलावा अगर मरीज को वासोप्रेशर (Vasopreasor) मेडिसिन दी जाती है ताकी मरीज की ब्लड वेसेल्स मजबूत बनी रहें।
अगर मरीज को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता है तो डॉक्टर मरीज को सपोर्टिव मशीन पर डाल देता है जब तक की मरीज रिकवर नहीं हो जाता।
सेप्सिस से कैसे बचें - Prevention from Sepsis In Hindi
1) अपने हाथों को अच्छे से धोने की आदत डालें और इंफेक्शन से बचें
2) फ्लू और निमोनिया की वैक्सीन ज़रूर लगवाएं
3) अगर आपको कोई बीमारी है तो डॉक्टर से रेगुलर चेक अप जरूर करवाएं
4) किसी भी इंफेक्शन या बुखार की स्तिथि में तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें
5) हर 3 महीने में पूरे शरीर की जांच अवश्य करवाएं।
सेप्सिस होने की सम्भावना किसको अधिक होती है
1) 65 साल से ऊपर के वृद्ध, गर्भवती स्त्री और पांच साल से कम के बच्चे
2) जिनको पहले से किडनी, लिवर, फेफड़े की बीमारी हो। साथ ही डायबिटिक मरीज और कैंसर के मरीज भी हाई रिस्क पर होते है।
3) जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो
4) हॉस्पिटल में भर्ती मरीज को सेप्सिस होने की बहुत सम्भावना होती है
5) कोई घाव, चोट लगने या जलने पर भी सेप्सिस हो जाता है।
6) ऐसे मरीज जो सपोर्टिव मशीन पर हों उनको भी सेप्सिस जल्दी हो जाता है।
सेप्सिस के कितने चरण होते हैं - Stages of Sepsis in Hindi
सेप्सिस के मुख्यता तीन चरण होते हैं
1) जब कोई इंफेक्शन हमारे ब्लड में पहुंच जाता है और इन्फ्लेमेशन करना शुरू कर देता है, इसे सेप्सिस कहते हैं।
2) जब इंफेक्शन हमारे शरीर के अंग को प्रभावित करना शुरू कर देता है। इसे हम सीवियर सेप्सिस कहते हैं।
3) आखिरी स्टेज होता है सेप्टिक शॉक। इसमें मरीज के अंग काम करना बन्द करने लगते हैं। ब्लड प्रेशर कम होने लगता है।
सांस उखड़ने लगती है और हार्ट फेल होने लगता है। मरीज को ब्रेन स्ट्रोक हो जाता है। सेप्टिक शॉक के बाद मरीज का बचना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसे सेप्टीसीमिया (Septicemia) भी कहते हैं।
सेप्सिस के मरीज कितने दिनों तक हॉस्पिटल में भर्ती रहते हैं
सेप्सिस होने के बाद मरीज को कम से कम 4 दिन आईसीयू और 10 दिन तक भर्ती रहना पड़ सकता है। होस्पिटलाइजेशन इससे अधिक भी हो सकता है।
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