वेंटीलेटर क्या होता है और इसे क्यों लगाया जाता है (Ventilator kya hai in hindi) यह प्रश्र हर उस इंसान के दिमाग में आता है जिसका कोई परिचित वेंटीलेटर पर चला जाता है।
वेंटीलेटर (ventilator meaning in hindi) सुनकर लोगों को लगता है की यह बहुत ही खराब स्तिथि है और अब मरीज के बचने की कोई सम्भावना नहीं है।
लेकिन ये पूरा सच नहीं है तो चलिए आज आपको वेंटीलेटर से जुड़ी सारी जानकारी देते हैं और बताते हैं की क्या होता है वेंटीलेटर और क्या वेंटीलेटर पर जाने के बाद मरीज के बचने की सम्भावना होती है?
वेंटीलेटर (Ventilator) की आवश्कता क्यों पड़ती है Use of ventilator in hindi
इसके लिए हमें सबसे पहले समझना होगा की हमारे फेफड़े कैसे काम करते हैं।
हमारे फेफड़ों का काम होता है शरीर में निर्बाध ऑक्सिजन की सप्लाई करना। बिना ऑक्सीजन के हमारे शरीर के कोई भी अंग काम नहीं कर पाएंगे।
जब बीमारी या किसी अन्य कारणवश हम पर्याप्त ऑक्सिजन नहीं ले पाते तो हमारे शरीर में ऑक्सिजन का लेवल गिरने लगता है और इसके कारण हमारे शरीर के अंग डैमेज होना शुरू हो जाते हैं।
इस स्तिथि में डॉक्टर मरीज को ऑक्सिजन के सपोर्ट पर रख देता है ताकि शरीर में ऑक्सिजन की कमी ना होने पाए।
यह एक बहुत ही साधारण सी मेडिकल प्रक्रिया है। जैसे ही मरीज खुद स्वस्थ होने लगता है या ऑक्सीजन लेवल सामान्य होने लगता है तो डॉक्टर ऑक्सीजन सपोर्ट हटा देता है।
इस स्तिथि तक हमारे फेफड़े खुद से काम कर रहें होते हैं, बस किसी कारणवश वो ऑक्सीजन की पूर्ति नहीं कर पाते।
लेकिन वेंटिलेटर तब लगाया जाता है जब मरीज खुद सांस नहीं ले पता और उसके फेफड़े काम नहीं कर पा रहे होते हैं।
वेंटीलेटर का काम होता है मरीज को ऑक्सिजन देना और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकालना।
यह एक बहुत ही खराब स्तिथि होती है क्योंकि फेफड़े काम नहीं कर पा रहें होते हैं और फेफड़े का काम एक बाहरी मशीन यानि की वेंटीलेटर से करवाया जाता है।
वेंटीलेटर कैसे काम करता है
मरीज को वेंटीलेटर लगाने के लिए उसके विंड पाईप यानि की रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में एक ट्यूब डाली जाती है जिसके जरिए फेफड़ों को ऑक्सीजन प्रदान की जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकाली जाती है।
जब मरीज को लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रखने की आवश्कता होती है तब डॉक्टर मरीज के गले के पास छेद करके एक ट्यूब इंसर्ट कर देते हैं और फिर इस ट्यूब को वेंटिलेटर से जोड़ देते हैं।
इस प्रक्रिया को Tracheostomy कहते हैं। जब मरीज वेंटिलेटर पर होता है तो वेंटीलेटर के साथ कुछ और इक्विपमेंट भी जोड़े जाते हैं जो मरीज के हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन लेवल और ब्रेथिंग को लगातार मॉनिटर किया करते हैं।
मरीज वेंटिलेटर पर कब तक रहता है
वेंटीलेटर एक लाईफ सेविंग मशीन है। यह सिर्फ मरीज को सांस लेने में सहायता करती है।
यह मरीज की बीमारी को ठीक नहीं करती बल्कि यह मरीज के बीमारी के ठीक होने तक शरीर में ऑक्सिजन के स्तर को बनाए रखती है।
जब मरीज की बीमारी ठीक हो जाती है या बीमारी का कारण ठीक हो जाता है तो डॉक्टर सारे लक्षण देखते हुए वेंटीलेटर हटा देता है।
वेंटीलेटर हटाने के प्रॉसेस को Weaning कहते हैं। कुछ लोगों को वेंटीलेटर में सिर्फ कुछ घंटे रखा जाता है और स्तिथि सुधरने पर हटा लिया जाता है।
कुछ लोगों को कई दिन तक वेंटीलेटर तक रखना पड़ता है जबकि कई लोग कभी वेंटीलेटर से बाहर नहीं आ पाते।
किन मेडिकल कंडीशन में वेंटीलेटर लगाया जाता है
जब भी हमारे फेफड़े काम नहीं कर पाते तब डॉक्टर वेंटीलेटर लगाने का निर्णय लेते हैं। इसके कई कारण होते हैं जैसे
फेफड़ों का काम ना कर पाना
सिर में चोट या स्ट्रोक
अस्थमा
क्रोनिक ऑब्सट्रेकेटिव पल्मोनरी सिंड्रोम COPD
दवाई का ओवरडोज
निमोनिया
सर्जरी के वक्त जिसमें मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है
कार्डियक अरेस्ट या हार्ट फेल होने पर
एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम ARDS
इसके अलावा भी कई ऐसी बीमारी होती है जिसमे मरीज को वेंटीलेटर पर रखा जाता है और डॉक्टर लक्षणों के हिसाब से ये निर्णय लेता है।
आजकल एक ऐसी मशीन आती है जिसे हम "हार्ट लंग मशीन" कहते हैं जो फेफड़ों और दिल दोनों का काम करती है। यह ज्यादातर उन मरीजों पर लगाई जाती है जो कोमा में होते हैं।
वेंटीलेटर पर मरीज को कैसा महसूस होता है
वेंटीलेटर से मरीज को कोई दर्द नहीं होता लेकिन इसके कारण गले में पड़ी हुई ट्यूब के कारण मरीज को असहज महसूस होता है।
मरीज ना बोल सकता है और ना ही कुछ खा सकता है शुरू में कुछ दिन मरीज को बहुत ही असहज महसूस होता है क्योंकि उसका शरीर इस बदलाव का विरोध करता है।
मरीज को वेंटीलेटर में ज्यादा दिक्कत ना हो इसलिए डॉक्टर मरीज को दर्द निवारक दवाई, मसल्स रिलेक्सटेंट, सीडेटिव और सोने की दवाई देता है ताकि मरीज ज्यादा असहज ना महसूस करे।
वेंटीलेटर में पड़े मरीजों के सामने कैसा व्यवहार करना चाहिए
अगर आपके कोई परिजन वेंटीलेटर में हों तो सबसे जरूरी है की अगर आप उनके पास खड़े हों तो कोई भी निगेटिव बातें ना करें।
मरीज आपकी बातें सुन रहा होता है और आपकी निगेटिव बातों से वो विचलित हो सकता है।
उसके पास अगर जाएं तो आपस में ऐसी बातें करें जिससे उसको साहस मिले।
हमेशा ये बोलें की स्तिथि में सुधार हो रहा है, डॉक्टर्स ने काफी पॉजिटिव रिस्पॉन्स दिया है, मरीज जल्द ठीक हो जायेगा ईत्यादि।
यह सब बातें सुनकर मरीज का मनोबल बढ़ता है और उसकी बिमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।
हमेशा मरीज के पास मास्क पहने रहें और हाथों को अच्छे से धो कर जाएं अन्यथा आप मरीज को इंफेक्शन दे सकते हैं।
बच्चों को मरीज के पास ले कर ना जाएं।
क्या वेंटीलेटर पर जाने के बाद मरीज की मौत हो जाती है
यह प्रश्र सबसे ज्यादा पूछा जाता है और परिजन इस बात को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक वेंटीलेटर पर जाने वाले 60% मरीजों की मौत हो जाती है।
कॉविड के जो मरीज वेंटिलेटर पर जाते हैं उनमें मौत का प्रतिशत लगभग 90% है।
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