Widal Test Positive Means in Hindi - टाइफाइड यानी की मियादी बुखार की जांच के लिए जो टेस्ट किया जाता है उसे विडाल टेस्ट कहते हैं।
टाइफाइड टेस्ट दो तरह से किया जाता है एक विडाल से और दूसरा टाइफाइड किट से जिसे हम टायफीडॉट भी कहते हैं। विडाल टेस्ट पॉजिटिव आने का मतलब है की आपको टाइफाइड है
विडाल टेस्ट - Widal Test in Hindi
विडाल टेस्ट एक सेरोलॉजिकल टेस्ट होता है और ये टेस्ट 1896 में ग्रीमबॉम और विडाल द्वारा खोजा गया था।
यह टेस्ट ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया सालमोनेला टायफी को पता करने में सहायता करता है। सालमोनेला टायफी टाइफाइड का मुख्य कारण हैं।
सालमोनेला टायफी के सेल वॉल पर O एंटीजन होता है और H एंटीजन इसके फ्लेगेला में पाया जाता है।
शरीर में सालमोनेला टायफी के कारण इन्फेक्शन होने पर हमारे शरीर के अंदर इन एंटीजन के कारण एक विशेष एंटीबॉडी उत्पन्न हो जाती है।
विडाल टेस्ट के द्वारा इन्हीं एंटीबॉडी को पता किया जाता है। यह एंटीबॉडी इंफेक्शन होने के हफ्ते भर बाद ही पहचानी जा सकती हैं।
कैसे किया जाता है विडाल टेस्ट - Method of Widal Test in Hindi
विडाल टेस्ट एक एग्लूटिनेशन (Agglutination) टेस्ट होता है जिसमें किसी के एंटीजन को उसी के एंटीबॉडी से मिलाया जाता है।
इसमें मरीज के सीरम को मरे हुए बैक्टीरिया के सस्पेंशन O & H में मिलाया जाता है।
अगर सीरम में बैक्टीरिया के एंटीबॉडी होगें तो वो एंटीजन से रिएक्ट करके क्लंप यानी की थक्का बना देगे, जो की स्लाइड पर दिखाई देगा।
विडाल टेस्ट से हम टाइफाइड फीवर की इंटेंसिटी को समझ सकते हैं। कई रिपोर्ट्स में + का चिन्ह बना होता है और कई में 1:180 या 1:240 या इसी तरह की वैल्यू लिखी होती है।
जितना ज्यादा इंफेक्शन होगा यह वैल्यू उतनी ज्यादा होगी या +, ++, +++ ईत्यादि चिन्ह बने होंगे। पॉजिटिव आने पर यह टाइफाइड संक्रमण को दर्शाता है।
टायफीडॉट टेस्ट क्या होता है - Typhidot Test in Hindi
टायफीडॉट टेस्ट टाइफाइड संक्रमण को नापने का बहुत ही आसान तरीका है।
इसमें मरीज के सीरम को एक किट में डाला जाता है और वह तुरंत बता देती है की मरीज को टाइफाइड संक्रमण है की नहीं।
इसकी रिपोर्ट वाइडल टेस्ट की तरह जटिल नहीं होती और कोई भी इसे एक बार में देख कर समझ जाता है। डॉक्टर्स के लिए भी टायफीडॉट टेस्ट आसान होता है।
वाइडल टेस्ट और टायफीडॉट टेस्ट की कीमत कितनी होती है - Cost of Widal Test in Hindi
विडाल टेस्ट सस्ता पड़ता है और इसका मूल्य लगभग 200 रुपए होता है। जबकि टायफीडॉट टेस्ट करीब 400 रुपए में होता है।
आजकल अधिकतर लैब्स टायफीडॉट टेस्ट को ही प्राथमिकता देती हैं क्योंकि यह बहुत आसानी से हो जाता है।
चलिए अब कुछ जान लेते है उस बीमारी के बारे में जिसके लिए विडाल टेस्ट करवाया जाता है।
टाइफाइड क्या होता है - What is Typhoid Fever in Hindi
टाइफाइड एक इंफेक्शन है जो सालमोनेला टायफी नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। टाइफाइड होने का मुख्य कारण संक्रमित भोजन और पानी होता है।
टाइफाइड होने पर आपको बुखार आने लगता है और फिर डायरिया, उल्टी और पेट में दर्द भी होना शुरू हो जाता है।
टाइफाइड के लक्षण इंफेक्शन होने के दूसरे या तीसरे दिन से शुरू हो जाते हैं।
कई लोग ये बोलते हैं की उन्होंने बाहर खाना ही नहीं खाया तो उनको टाइफाइड कैसे हो गया तो इसका कारण यह भी हो सकता है की आपने कोई संक्रमित वस्तु छुई हो और उसके बाद आपने अपने हाथों से मुंह को छुआ हो बिना हाथ धोए।
टाइफाइड बुखार 4 हफ्ते से 6 हफ्ते तक रह सकता है और यह हमारे लिवर, मांशपेशियों और तिल्ली (Spleen) को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।
टाइफाइड के लक्षण - Symptoms of Positive Widal Test in Hindi
1) बुखार जो धीरे धीरे बढ़ता रहता है
2) सिर दर्द
3) कमजोरी और थकान
4) उल्टी या उल्टी होने की फिलिंग
5) मांशपेशियों में दर्द
6) पेट में दर्द होना, कभी हल्का कभी तेज
7) डायरिया
8) भूख ना लगना
9) सूखी खांसी
अगर टाइफाइड लंबे समय तक रह गया तो आपका दिमाग एक ऐसी स्तिथि में पहुंच जाता है जहां आप चीजों को लेकर भ्रमित होने लगते हैं और दिमाग के काम करने यानी के सोचने समझने की क्षमता कम हो जाती है।
इसके साथ ही आप बहुत ही ज्यादा थके से महसूस करते हैं और आप में आंख खोलने की भी हिम्मत नहीं होती।
यह एक बहुत ही खतरनाक स्तिथि होती है और इस अवस्था में मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाना चाहिए।
टाइफाइड ठीक ना होने पर क्या क्या दिक्कतें हो सकती हैं - Complication Due to Typhoid Fever in Hindi
अगर टायफाइड का इलाज ना किया जाए तो मरीज को आंतों से परफोरेशन होने लगता है जिसके कारण पेट में इंटरनल ब्लीडिंग होने लगती है।
अगर चार हफ्तों तक ईलाज ना मिला तो आतों में छेद हो जाता है जो अंदरुनी रक्त स्राव का कारण बनता है।
इसके अलावा आपकी किडनी डैमेज होने लगती है, हृदय की मांशपेशियों में इंफेक्शन और इन्फ्लेमेशन होने लगता है।
कई लोगों को निमोनिया और पैंक्रीटाइटीस हो जाता है, इसके साथ ही मेनिनजाइटिस और ब्रेन संबंधी दिक्कतें होने लगती हैं जो की बहुत ही खतरनाक होती हैं।
टायफॉइड फीवर की शुरुआत कैसे होती है - Stages of Typhoid Fever in Hindi
टायफॉइड फीवर कई चरणों में होता है, आइए जानते है इसके चरण
1) टायफाइड के शुरुआती दौर में मरीज को हल्का बुखार, खांसी और सिर दर्द होता है।
2) टाइफाइड के दूसरे चरण में मरीज को तेज बुखार और पेट में दर्द महसूस होता है।
मरीज को बहुत थकान महसूस होती है और वो चिड़चिड़ा हो जाता है। इसके अलावा मरीज के सोचने की क्षमता कम हो जाती है। वह दिग्भ्रमित हो जाता है।
3) तीसरे दौर में मरीज की आंतों में परफोरेशन हो जाता है और उसकी आंतों से खून आने लगता है।
मरीज डिहाइड्रेटेड हो जाता है और उसे बैठने या लेटने में भी थकान लगने लगती है। यह बहुत ही जटिल स्तिथि होती है।
4) आखिरी दौर में मरीज की किड़नी फेल होने लगती है, उसको निमोनिया हो जाता है, दिमाग में सूजन और पैंक्रियाज में इन्फ्लेमेशन हो जाता है जो मरीज की मौत का कारण बनता है।
टाइफाइड का ईलाज - Treatment of Typhoid in Hindi
टायफाइड को एंटीबायोटिक्स के द्वारा ठीक किया जाता है।
टाइफाइड ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया के कारण होता है तो टायफाइड में ऐसी एंटीबायोटिक्स मरीज को दी जाती हैं जो ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया पर अच्छा असर करती हैं।
जैसे Piperacillin, Cefotaxime, Ceftazidime, Meropenem, Ciprofloxacin, Amoxicillin Clavulanic Acid, Amikacin ईत्यादि।
कई बार ऐसा होता है की मरीज ने पहले से एंटीबायोटिक खा रखी होती है इसलिए मरीज का ईलाज शुरू करने से पहले डॉक्टर कई बार ब्लड कल्चर टेस्ट भी करवाते हैं
ताकि वो ये पता लगा सकें की कौन सी एंटीबायोटिक्स मरीज पर सबसे अच्छा काम करेगी।
टाइफाइड से कैसे बचें - Prevention From Typhoid in Hindi
टाइफाइड से बचना बहुत ही आसान है। टाइफाइड से बचने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा।
1) अपने हाथों को समय समय पर अच्छे से धोया करें। कुछ भी खाने के पहले आपको अपना हाथ अच्छे से धोना चाहिए।
2) किसी पब्लिक प्लेस में कोई वस्तु छूने के बाद अपना हाथ जरुर धोएं और अगर हाथ धोने की व्यवस्था ना हो तो अपना हाथ मुंह या नाक के पास ना ले जाएं।
3) हमेशा साफ पानी पिएं और खुले में रखा हुआ पानी मत पिएं।
4) कोई भी फल या सब्जी बहुत ही अच्छी तरह धोने के बाद ही खाएं।
बाहर की चीजों को खाने से बचें क्योंकि टाइफाइड होने का प्रमुख कारण बाहर की संक्रमित पदार्थ ही होते हैं।
5) अगर मजबूरी में बाहर खाना पड़ रहा हो तो साफ सुथरी जगह ही खाएं या ऐसे पदार्थ खाएं जो गर्म खाए जाते हों या जिनके संक्रमित होने की सम्भावना बहुत कम हो।
इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखकर आप टाइफाइड इंफेक्शन से बच सकते हैं।
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