AFP Test in Hindi - AFP जिसे हम Alpha Fetoprotein कहते हैं भ्रूण के लिवर द्वारा बनाया जाता है।
बच्चे के पहले तीन महीने के दौरान यह प्रोटीन का मुख्य सोर्स होता है।
जैसे ही बच्चों की उम्र बढ़ती है Alpha Fetoprotein कम होता जाता है और एक वर्ष के बच्चों में बिल्कुल ही कम हो जाता है।
वयस्कों में Alpha Fetoprotein बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है।
AFP बहुत सारे कैंसर् का भी मार्कर होता है लिवर कैंसर, लिवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस, टेस्टिकल कैंसर और ओवरीज के कैंसर में Alpha Fetoprotein की मात्रा ब्लड में बहुत बढ़ जाती है।
हालांकि AFP ट्यूमर या कैंसर को पता लगाने के लिए एक सटीक टेस्ट नही होता है फिर भी यह काफी कुछ जानकारी दे देता है।
AFP टेस्ट का सबसे अधिक इस्तेमाल कहां होता है
AFP टेस्ट का सबसे अधिक इस्तेमाल गैस्ट्रो डॉक्टर करते हैं।
यह टेस्ट लिवर सिरोसिस और हेपेटाइटिस को मॉनिटर करने में सबसे अधिक इस्तेमाल होता है।
इसके अलावा कैंसर को मॉनिटर करने में भी इसका काफी इस्तेमाल होता है।
कई बार महिला डॉक्टर गर्भवति महिलाओं के पेट में पल रहे बच्चे में कोई डिफेक्ट तो नहीं है उसका पता करने में भी AFP टेस्ट का इस्तेमाल करती हैं।
AFP टेस्ट का परिणाम क्या बताता है - Normal Range of AFP Test in Hindi
AFP की नॉर्मल वैल्यू 10 ng/mL से 20 ng/mL तक होती है।
अगर ये वैल्यू 400 से ऊपर आ जाती है तो इसका मतलब है की आपको लिवर कैंसर हो सकता है।
अगर आपके AFP की वैल्यू बढ़ रही है तो इसका मतलब है की आपका कैंसर फैल रहा है।
अगर आपके AFP की वैल्यू घट रही है तो इसका मतलब है की आपका ट्रीटमेंट सही चल रहा है।
अगर आपके AFP की वैल्यू ना बढ़ी और ना ही घटी तो इसका मतलब है की आपका कैंसर अभी रुका है।
अगर आपके AFP की वैल्यू पहले घटी और फिर बढ़ने लगी तो इसका मतलब है की आपका कैंसर वापस आ रहा है।
AFP टेस्ट के साथ और कौन से टेस्ट करवाए जाते हैं
AFP चुंकि पूरी जानकारी नहीं दे पाता इसलिए इसके साथ कई और टेस्ट भी कराए जाते हैं जैसे
1) लिवर फंक्शन टेस्ट
2) किड़नी फंक्शन टेस्ट
3) HCG टेस्ट
4) LDH टेस्ट
5) हेपेटाइटिस B और हेपेटाइटिस C टेस्ट
6) PTINR टेस्ट
AFP टेस्ट का पॉजिटिव आना कौन सी बीमारी को दर्शाता है
AFP टेस्ट मुख्यता लिवर के मरीजों और कुछ मामलों में गर्भवती महिलाओं का होता है। यह टेस्ट निम्न जानकारी देता है
1) हेपेटाइटिस
2) लिवर सिरोसिस
3) लिवर कैंसर
4) टेस्टिकल कैंसर
जबकि गर्भवती महिलाओं में यह बताता है
1) डाउन सिंड्रोम
2) ओवरीज कैंसर
3) बर्थ डिफेक्ट्स
डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को ये टेस्ट ट्रिपल मार्कर (AFP, Estriol & hCG) और क्वाड्रूपल मार्कर (AFP, Estriol, hCG और Inhibin A) जरूर करवाती हैं।
ताकी बर्थ डिफेक्ट की किसी भी संभावना को खत्म किया जा सके।
गर्भवती महिलाओं में इसके कम या ज्यादा होने के अलग अलग मतलब होते हैं
अगर मां का AFP लेवल अधिक है तो बच्चे को बर्थ डिफेक्ट्स जैसे स्पाइना बिफिडा हो सकता है।
यह वैल्यू मुख्यता नॉर्मल वैल्यू से 2.5 गुना अधिक होने पर होती है।
वहीं अगर AFP की वैल्यू गर्भवती महिलाओं में कम है तो इसका मतलब है की बच्चे को डाउन सिंड्रोम या एडवर्ड सिंड्रोम हो सकता है।
इसको कन्फर्म करने के लिए डॉक्टर फिर अल्ट्रासाउंड करते हैं।
AFP टेस्ट की कीमत कितनी होती है - Cost of AFP Test in Hindi
AFP टेस्ट की कीमत 1000 के करीब होती है। हर शहर और लैब में यह कीमत बढ़ या घट सकती है।
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ब्लड टेस्ट