Electrolytes Blood Test in Hindi - इलेक्ट्रोलाइट यानी की सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड, फॉस्फेट, कैल्शियम और मैग्नीशियम हमारे शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं।
इनकी कमी होने पर हमारे शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है है और हम गम्भीर रूप से बीमार हो सकते हैं और कई मामलों में मृत्यु तक हो जाती है।
आईए समझते हैं की इलेक्ट्रोलाइट क्या होते हैं और इलेक्ट्रोलाइट किस तरह हमारे शरीर के लिए जरूरी है?
इलेक्ट्रोलाइट क्या काम करते हैं - Function of Electrolytes In Hindi
इलेक्ट्रोलाइट हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इलेक्ट्रोलाइट हमारे शरीर के सेल्स की फंक्शनिंग के लिए बहुत जरूरी होते हैं।
हमारे शरीर में लगभग 70% पानी होता है और हमारे शरीर का हर सेल (कोशिका) इलेक्ट्रोलाइट्स के बिना काम नहीं कर सकता।
हमारे शरीर की सारी केमिकल केमिकल रिएक्शन बिना इलेक्ट्रोलाइट्स के संभव नहीं हो सकतीं।
इलेक्ट्रोलाइट्स हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका के अंदर और बाहर की वर्किंग के लिए बहुत जरूरी होता है।
हम जो कुछ भी खाते हैं उसमें से हमारे शरीर को इलेक्ट्रोलाइट्स मिल जाते हैं और एक्स्ट्रा इलेक्ट्रोलाइट्स हमारा शरीर किडनी के जरिए फिल्टर करके बाहर निकाल देता है।
इलेक्ट्रोलाइट्स जब पानी में घुलते हैं तो इनपर पॉजिटिव या निगेटिव चार्ज आ जाता है।
इनके कारण ही हमारे शरीर में सिग्नल का आदान प्रदान होता है जिसकी वजह से हमारी मांशपेशियां कोई काम कर पाती हैं,
हमारा दिमाग सोच पाता है और हमारे पूरे शरीर का बैलेंस बना रहता है, हमारा शरीर हाइड्रेट रह पाता है और शरीर का pH संतुलित रहता है।
इलेक्ट्रोलाइट के कार्य - Role of Electrolyte in Hindi
1) शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखना
2) शरीर का pH संतुलित रखना
3) पोषक तत्वों को कोशिका तक ले जाना
4) कोशिका का पुनर्निर्माण करना
5) शरीर के सिग्नल को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में सहायता करना
6) शरीर के सभी अंगों का संतुलन बनाए रखना
इलेक्ट्रोलाइट की कमी के लक्षण - Symptoms of Imbalance Electrolyte in Hindi
इलेक्ट्रोलाइट की कमी के कारण हमारा शरीर निम्न लक्षण प्रदर्शित करता है
1) थकान
2) अनियमित धड़कन
3) भ्रमित होना
4) मांशपेशियों में क्रैंप आना
5) सर दर्द होना
6) घबराहट और बेचैनी होना
7) शरीर का कोई हिस्सा सुन्न हो जाना या झनझनाहट होना
8) ब्लड प्रेशर का बिगड़ जाना
अगर इलेक्ट्रोलाइट गम्भीर रूप से असंतुलित हो जाते हैं तो मरीज बेहोश हो जाता है या उसकी मृत्यु भी हो जाती है।
सोडियम का असंतुलन
सोडियम का काम शरीर में पानी के बैलेंस को बनाए रखना, मांशपेशियों के काम में सहायता और शरीर में नर्वस सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने में सहायता करना होता है।
सोडियम जब शरीर में अधिक हो जाता है तो इसे हाइपरनाट्रेमीया (Hypernatremia) कहते हैं।
यह अधिकतर डिहाइड्रेशन के कारण होता है। डिहाइड्रेशन कई कारणों से होता है जैसे डायरिया, उल्टी, फीवर, किडनी की बीमारी, कम पानी पीना या बहुत अधिक एक्सरसाइज से।
डिहाइड्रेशन की वजह से हमारे शरीर में सोडियम की मात्रा बहुत बढ़ जाती है।
सोडियम जब शरीर में कम हो जाता है तो इसे हाइपोनाट्रेमिया (Hyponatremia) कहते हैं।
यह किडनी की खराबी से, एंटी डायरेटिक हार्मोन सेक्रेशन से या फिर बहुत अधिक पानी पीने से हो जाता है जिसके कारण सोडियम बहुत अधिक घुल कर शरीर से निकल जाता है।
अधिक सोडियम होने की वजह से मरीज भ्रमित होने लगता है, उसका मांसपेशियों से नियंत्रण खोने लगता है,
झटके या दौरे आने लगते हैं और मरीज कोमा में जानें लगता है।
सोडियम की मात्रा कम होने पर मरीज भ्रमित होने लगता है, उसको चिड़चिड़ाहट होने लगती है, मांशपेशियां कमजोर हो जाती हैं,
मरीज को उल्टी और झटके आने लगते हैं और मरीज कोमा में जानें लगता है।
पोटेशियम का असंतुलन
पोटेशियम जब हमारी कोशिका में प्रवेश करता है तो सोडियम बाहर निकल जाता है और सोडियम जब प्रवेश करता है तो पोटेशियम बाहर निकल जाता है।
पोटेशियम मुख्यता हमारे हृदय की कार्य प्रणाली को प्रभावित करता है।
पोटेशियम के असंतुलन से मरीज के हृदय की काम करने की क्षमता प्रभावित होती है और मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
जब शरीर में पोटेशियम की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है तो इसे हाईपरकालेमिया (Hyperkalemia) कहते हैं।
इस स्तिथि में मरीज को कमजोरी महसूस होती है, मांशपेशियों में मूवमेंट बहुत कम हो जाता है, मरीज भ्रमित हो जाता है और उसकी हृदय की धड़कन अनियमित हो जाती है।
जब शरीर में पोटेशियम की मात्रा कम हो जाती है तो इसे हाईपोकालेमिया (Hypokalemia) कहते हैं।
इस स्तिथि में मरीज को बहुत कमजोरी महसूस होती है, मांशपेशियों में क्रैंप आने लगता है, बहुत अधिक प्यास और यूरीन लगती है,
चक्कर आने लगते हैं और मरीज को ऐसा लगता है की जैसे उसकी मृत्यु होने वाली है। यह एक खतरनाक स्तिथि होती है।
मैग्नीशियम का असंतुलन
मैग्नीशियम का मुख्य काम पोषक तत्वों को उर्जा में बदलने का होता है।
हमारी मांशपेशियां और दिमाग मैग्नीशियम पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं।
मैग्नीशियम की अधिक मात्रा होने को हाईपरमैग्नेसेमिया (Hypermagnesemia) कहते हैं।
इस स्तिथि में मरीज की हृदय की धड़कन अनियंत्रित हो जाती है, उसके रिफ्लेक्सेस कमजोर हो जाते हैं,
सांस लेने में दिक्कत होती है और हृदय काम करना बन्द कर देता है।
जब शरीर में मैग्नीशियम की मात्रा बहुत कम हो जाती है तो इसे हाईपोमैग्नेसेमिया (Hypomagnesemia) कहते हैं।
इसमें मरीज की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, मांशपेशियों से नियंत्रण खो जाता है और हृदय की धड़कन अनियंत्रित हो जाती है।
यह अधिकतर कैल्शियम और पोटेशियम की कमी के साथ ही जुड़ा रहता है।
कैल्शियम का असंतुलन
कैल्शियम का काम हड्डियों के अलावा हमारी मंशपेशियों को नियंत्रित करना, नर्वस सिस्टम को सुचारू रूप से चलाना और हमारे हार्ट पर नियंत्रण रखना है।
कैल्शियम की अधिकता को हाईपरकैल्सीमिया (Hypercalcemia) कहते हैं।
इसके कारण मरीज को सरदर्द, थकान, भ्रमित होना, पेट में दर्द, उल्टी होना, बार बार पेशाब होना, किडनी की समस्या, हृदय की धड़कन का अनियंत्रित होना और हड्डियों में दर्द होता है।
हाईपोकैल्सेमीया (Hypocalcemia) के कारण मरीज का दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है, मांशपेशियों से नियंत्रण खत्म हो जाता है,
मांशपेशियों में ऐंठन आने लगती है और मरीज को बोलने और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
क्लोराइड का असंतुलन
क्लोराइड हमारे शरीर में दूसरा सबसे अधिक पाया जाने वाला आयन होता है।
यह हमारे शरीर का pH संतुलित रखता है और कोशिका के अंदर और बाहर पानी का संतुलन बनाए रखता है।
शरीर में क्लोराइड की अधिक मात्रा होने पर इसे हाईपरक्लोरेमिया (Hyperchloremia) कहते हैं।
यह अधिकतर पोटेशियम की अधिक मात्रा के कारण होता है और यह किडनी की गम्भीर समस्या कर सकता है।
इसके कारण शरीर में एसिडोसिस हो जाता है और मरीज को उल्टी, थकान और गहरी गहरी सांसे आने लगती है।
जब शरीर में क्लोराइड की कमी हो जाती है तो इसे हाइपोक्लोरेमिया ( Hypochloremia) कहते हैं और यह हमारे शरीर को एल्कलाइन कर देता है जिसके कारण अल्कालोसिस हो जाती है।
यह अधिकतर पोटेशियम की कम मात्रा के कारण होता है।
इसके कारण डायरिया, यूरीन की समस्या, उल्टी, मांशपेशियों से नियंत्रण खो देना, हृदय की अनियमित धड़कन, भ्रमित होना और पैंक्रियाज में लीकेज हो जाता है।
फॉस्फेट का असंतुलन
फॉस्फेट का मुख्य काम पोषक तत्वों का मेटाबॉलिज्म करना होता है।
यह हमारे डीएनए को बनाने में भी सहायता करता है और कोशिका का अंदर और बाहर केमिकल का ट्रांसपोर्टेशन करता है।
फॉस्फेट की अधिकता को हाइपरफोस्फेटेमिया (Hyperphosphatemia) कहते हैं और यह स्तिथि हाइपो कैल्सीमिया की तरह होती है
क्योंकि इसमें हमारा शरीर कैल्शियम को फास्फोरस के सबस्टीट्यूट के रूप में इस्तेमाल करने लगता है।
इसका कोई लक्षण जल्दी नहीं आता जब तक यह बहुत खतरनाक लेवल तक ना पहुंच जाए।
बहुत अधिक खुजली इसका एक लक्षण हो सकता है।
फॉस्फेट की कमी को हाइपो फोस्फेटेमिया (Hypophosphatemia) कहते हैं और इसका पहला लक्षण कमजोर मांशपेशियां होती हैं।
इसकी और अधिक कमी होने पर हमारी मसल्स डैमेज होने लगती है और किडनी प्रभावित होने लगती है।
इसके कारण सांस लेने में दिक्कत और हृदय की कमजोरी होने लगती है।
इलेक्ट्रोलाइट की जांच कितने में होती है - Cost of Electrolyte Test in Hindi
इलेक्ट्रोलाइट की जांच लगभग 400 रुपए में हो जाती है।
यह जांच ब्लड से होती है और इसके लिए फास्टिंग की कोई जरूरत नहीं होती।
हर शहर में इसकी कीमत अलग अलग हो सकती है। इलेक्ट्रोलाइट की रेंज देखने के लिए अपने लैब की रिर्पोट में देखें।
उसमें उम्र और लैब के मानक के अनुसार इलेक्ट्रोलाइट की रेंज लिखी होती है।
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ब्लड टेस्ट