हमारा शरीर अलग-अलग प्रकार के सेल्स (कोशिकाओं) से बना होता है और प्रत्येक कोशिका का अलग काम होता है।
एक निश्चित प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर हमारे शरीर का कोई अंग बनता है।
जैसे लिवर में अलग कोशिकाएं होती हैं, हार्ट में अलग कोशिकाएं होती हैं, ब्रेन में अलग कोशिकाएं होती हैं, फेफड़ों में अलग कोशिकाएं होती हैं, ब्लड में अलग कोशिकाएं होती हैं इसी तरह शरीर का हर अंग एक निश्चित प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बनता है।
लेकिन सारी कोशिकाओं की शुरुआत एक कोशिका से होती है जो प्रत्येक कोशिका को उसके काम के अनुसार बांट देती है जैसे हार्ट के लिए अलग, ब्रेन के लिए अलग, ब्लड के लिए अलग इसी तरह सारे अंगों के लिए अलग अलग कोशिका बना देती है।
इस मुख्य कोशिका को ही स्टेम सेल (Stem Cell) कहते हैं।
स्टेम सेल्स (Stem Cell) को आप हमारे शरीर की फैक्ट्री मान सकते हैं जिससे हर अंग की जरूरत के अनुसार कोशिकाएं बना करती हैं।
स्टेम सैल्स बहुत ही कम मात्रा में हमारी बोन मैरो (अस्थि मज्जा), दांत और शरीर में पाए जाने वाले फैट में पाया जाता है।
जब स्टेम सैल्स (Stem Cell) पूरी तरह विकसित हो जाते हैं तो यह हमारे ब्लड में आ जाते हैं और अपना काम शुरू कर देते हैं।
सबसे अधिक स्टेम सैल्स (Stem Cell) एक पैदा हुए बच्चे की गर्भनाल (Umbilical cord blood) में पाया जाता है। स्टेम सैल्स से हम अपने शरीर के किसी भी क्षतिग्रस्त अंग का पुनः निर्माण कर सकते हैं इसीलिए स्टेम सैल्स को स्टोर करना लोगों ने शुरू कर दिया है।
स्टेम सेल (Stem Cell) कितने प्रकार का होता है
स्टेम सेल मुख्यता 2 प्रकार का होता है।
1) एंब्रियोनिक स्टेम सेल - Embryonic Stem Cell
यह सेल गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर के अंगो को बनाता है और बच्चे को विकसित करता है।
एक सेल से कई सारे स्टेम सैल्स और अंग बनाने वाले खास सेल्स बनते हैं।
इन सैल्स को प्लूरिपोटेंट (Pluripotent) कहते हैं क्योंकि यह सेल्स हमारे शरीर के किसी भी अंग को बना सकते हैं। यह पैदा हुए बच्चे के गर्भनाल (Umbilical cord) में सबसे अधिक पाया जाता है।
2) एडल्ट स्टेम सेल - Adult Stem Cell
एडल्ट स्टेम सैल्स को मल्टीपोटेंट (Multi potent) सैल्स भी कहते हैं क्योंकि यह शरीर के जिस भाग से निकाला जाता है उसी अंग को बना पाता है।
जैसे अगर लिवर से स्टेम सेल लिया गया है तो वह सिर्फ लिवर ही बना पाएगा अथवा किसी स्किन से स्टेम सेल लिया गया है तो वह सिर्फ स्किन ही बना पाएगा।
एडल्ट स्टेम सेल को लैब में भी बनाया जाता है और इसे प्लूरिपोटेंट (Pluripotent) सेल्स कहते हैं।
यह कोशिकाएं बिल्कुल एंब्रॉयनिक स्टेम सेल की तरह ही होती हैं जिनसे आप कोई भी अंग बना सकते हैं।
स्टेम सेल (Stem Cell) का क्या उपयोग है
स्टेम सेल का उपयोग किसी भी क्षतिग्रस्त अंग को दुबारा बनाने के लिए होता है। इसके अलावा स्टेम सैल्स किसी भी लाईलाज बीमारी को ठीक कर सकते हैं।
अभी तक सिर्फ एडल्ट स्टेम सेल ही उपयोग में लिए जा रहें हैं और इसका उपयोग कैंसर और थैलेसीमिया का ईलाज करने में किया जा रहा है।
स्किन स्टेम सैल्स (Stem Cell) का उपयोग जली हुई या क्षतिग्रस्त स्किन को रिप्लेस करने में किया जा रहा है। यह विटिलगो नामक बीमारी में भी कारगर है।
अभी तक किसी अंग के खराब होने पर या तो उस अंग का ट्रांसप्लांट किया जाता था या मरीज को ऐसे ही छोड़ दिया जाता था।
लेकिन स्टेम सेल (Stem Cell) की सहायता से हम मरीज को नया अंग बना कर दे सकते हैं फिर चाहे वो आंख हो, लिवर हो या गुर्दे सारे अंग नए बन सकते हैं।
स्टेम सेल (Stem Cell) थेरैपी में क्या दिक्कते हैं
स्टेम सेल्स को पूरी तरह प्रयोग में लाने के लिए अभी बहुत सारी अड़चने हैं।
अभी हमको ये सीखना है की एंब्रियोनिक सैल्स से किसी भी अंग के सैल्स कैसे बनते हैं और उनको कैसे नियंत्रित किया जाए।
दूसरी सबसे बड़ी अड़चन है की एंब्रियोनिक सैल्स को कैसे प्राप्त करें क्योंकि अगर इसे एंब्रॉय से निकालेंगे तो एंब्रॉयो खत्म हो जाएगा और इसे एक हत्या की तरह माना जाता है।
तीसरी सबसे बड़ी चुनौती है की एडल्ट स्टेम सेल्स (Stem Cell) को लैब में विकसित (प्लूटिपोटेंट) करना बहुत कठिन काम है। अभी सिर्फ गिनी चुनी बीमारियों में ही स्टेम सेल थेरैपी उपयोग में लाई जा रही है।
स्टेम सेल (Stem Cell) को संरक्षित करना
आजकल बहुत से लोग अपने बच्चे के अम्बिलिक कॉर्ड को संरक्षित करवाने लगे हैं।
इसके लिए जब बच्चा पैदा हो तभी उसके कॉर्ड को संरक्षित करवा दिया जाता है ताकि भविष्य में होने वाली बीमारियों से उसे बचाया जा सके।
लेकिन अभी तक इससे उपचार के लिए कोई तकनीक विकसित नही है और हो सकता है की निकट भविष्य में यह तकनीक उपल्ब्ध हो जाए।
इसका अम्बिलिकल कॉर्ड ब्लड को संरक्षित करवाने का खर्च भारत में लगभग 80 हजार रुपए आता है।
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स्वास्थ्य