Uterus Fibroid Meaning in Hindi - गर्भाशय की गांठ को रसौली या फाइब्रॉयड भी कहते हैं।
यह गर्भाशय में
मौजूद छोटी-छोटी रसौली होती हैं जो एक राई के दाने से लेकर एक बॉल जितनी
बड़ी भी हो सकती हैं।
यह रसौली संख्या में एक या एक से ज्यादा भी हो सकती
हैं।
यह रसौली कैंसर का कारक नहीं बनती हैं और अधिकतर मामलों में अगर कोई
लक्षण ना दिखाई दें तो कोई परेशानी भी नहीं करती हैं।
यह गर्भाशय में ही
कोशिकाओं की वृद्धि होती है। इसको म्योमा भी कहा जाता है। भारत में 100 में से 25 महिलाएं इससे पीड़ित होती हैं।
अक्सर गर्भ ना धारण कर पाने का कारण यह रसौली ही होती हैं।
गर्भाशय में रसौली होने के लक्षण - Symptoms of Uterus Fibroid in Hindi
सामान्यता गर्भाशय में रसौली होने के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। यह तभी पकड़ में आता है जब महिला अल्ट्रासाउंड करवाती है।
कई मामलों में यह रसौली बिना किसी दिक्कत के जीवन भर पड़ी रहती है और कई मामलों में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे
1) पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लड निकलना
2) पीरियड्स एक हफ्ते से अधिक का होना
3) बार बार पेशाब आना
4) पेशाब करने के बाद भी हल्का ना महसूस होना
5) पेट में नीचे की तरफ दर्द बने रहना
6) पीठ या पैर दर्द बने रहना
7) कब्ज बनी रहना
8) मल त्याग करते समय दर्द होना
9) यौन संबंध बनाते वक्त दर्द होना
10) बार-बार गर्भपात होना
गर्भाशय में रसौली होने का कारण - Causes of Uterus Fibroid in Hindi
गर्भाशय में रसौली होने के कई कारण होते हैं जैसे
हार्मोन
महिला के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन की मात्रा अधिक होने पर गर्भाशय में रसौली होने की संभावना बढ़ जाती है।
अनुवांशिक
अगर महिला की मां को गर्भाशय में रसौली थी तो महिला को भी गर्भाशय में रसौली होने की संभावना बढ़ जायेगी।
अन्य कारण
यदि महिला ने गर्भनिरोधक गोलियों का अधिक सेवन किया है तो उसको गर्भाशय में रसौली होने की संभावना बढ़ जायेगी।
इसके अलावा जिनको कम उम्र में पीरियड्स आने शुरू हो जाते हैं उनको भी गर्भाशय में रसौली की समस्या हो सकती है।
मोटापा, विटामिन डी की कमी और शराब का सेवन भी गर्भाशय में रसौली होने की संभावना बढ़ा देती है।
गर्भाशय में रसौली कितने प्रकार की होती है - Types of Uterus Fibroid in Hindi
गर्भाशय में रसौली के प्रकार को रसौली किस जगह है से डिसाइड किया जाता है जैसे
सबसेरोसल फाइब्रॉयड - Subserosal Fibroid
यह फाइब्रॉयड गर्भाशय की दीवार के बाहर होती हैं। इसके लक्षण अनियमित पीरियड्स, पेट में दर्द और रीढ़ की हड्डी में दर्द हैं।
सबम्यूकोसल फाइब्रॉयड - Submucosal Fibroid
यह फाइब्रॉयड गर्भाशय की निचली सतह में होती हैं और इनकी वजह से पीरियड्स में काफी ब्लीडिंग होती है।
सर्वाइकल फाइब्रॉयड - Cervical Fibroid
यह फाइब्रॉयड गर्भाशय के ऊपर की तरफ होती हैं और इनके कारण अनियमित मासिक और अधिक ब्लीडिंग होती है।
इंट्रामुरल फाइब्रॉयड - Intramural Fibroid
यह
फाइब्रॉयड गर्भाशय की सतह पर भी बनती हैं और गर्भाशय के अंदर ही फैलने लगती
हैं। जब इनका आकार बड़ा हो जाता है तो यह पेट के निचले हिस्से में दर्द का
कारण बनती हैं।
पेडुनक्यूलेटेड फाइब्रॉयड - Pedunculated Fibroid
यह फाइब्रॉयड गर्भाशय के बाहर बनती हैं और इनका कुछ हिस्सा गर्भाशय से जुड़ा रहता है। इसमें रीढ़ की हड्डी पर दर्द होता है।
गर्भाशय की रसौली का ईलाज - Treatment of Uterus Fibroid in Hindi
गर्भाशय की रसौली के ईलाज की जरूरत तभी होती है जब इसके लक्षण नजर आ रहें हों या आप गर्भ धारण करने का सोच रहीं हों।
इलाज के तौर पर डॉक्टर आपको कुछ दवाएं लिखेगा जो आपको इसके लक्षणों में राहत देंगी और धीरे धीरे करके इन फाइब्रॉयड को सिकुड़ने में सहायता करेंगी।
लेकिन कुछ मामलों में यह दवाइयों से सही नहीं होता और ऑपरेशन की इसका एकमात्र विकल्प होता है। एक बहुत ही छोटे से चीरे की सहायता से इसका ऑपरेशन कर दिया जाता है।
आजकल ऐसी तकनीक भी उपलब्ध है जिसमें कोई भी चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।
गर्भाशय में रसौली होने की जांच - Diagnosis of Uterus Fibroid in Hindi
अधिकतर मामलों में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं और कुछ टेस्ट करवाने के बाद ही डॉक्टर पता लगा सकता है की गर्भाशय में फाइब्रॉयड है की नहीं जैसे
1) अल्ट्रासाउंड
2) एमआरआई (MRI)
3) हिस्टेरोस्कॉपी (Hysteroscopy)
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