Lymphocytes Meaning in Blood Test in Hindi - CBC ब्लड टेस्ट में कई सारे पैरामीटर होते हैं जिसमें लिम्फोसाइट्स एक
महत्वपूर्ण पैरामीटर होता है।
हम रिर्पोट में लिम्फोसाइट्स को अक्सर बढ़ा
हुआ या घटा हुआ देखते हैं।
आइए जानते हैं की लिम्फोसाइट्स क्या होते हैं,
लिम्फोसाइट्स का क्या काम होता है और इसका कम या ज्यादा होना किस बीमारी को
दर्शाता है।
लिम्फोसाइट्स क्या होते है - What is Lymphocytes in Blood Test in Hindi
लिम्फोसाइट्स
WBC यानी की व्हाइट ब्लड सैल्स का हिस्सा होते हैं।
लिम्फोसाइट्स हमारे
शरीर को कैंसर, बैक्टीरिया और वायरस के हमले मतलब इन्फेक्शन से बचाते हैं।
यह हमारे इम्यून सिस्टम का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं।
लिम्फोसाइट्स एक तरह से हमारे इम्यून सिस्टम की सहायता करते हैं।
जब भी
कोई बाहरी हमलावर या पैथोजन हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो
लिम्फोसाइट्स इनको याद कर लेते हैं और कुछ लिम्फोसाइट्स मेमोरी सैल्स में
बदल जाते हैं जिससे की अगली बार जब भी ये पैथोजन हमारे शरीर पर हमला करे
तो ये उनको पहचान कर तुरंत नष्ट कर सकें।
यही कारण है को जब हम वैक्सिनेशन
करवा लेते हैं तो हमें उस वायरस से दुबारा जल्द इन्फेक्शन नहीं होता
है।
लिम्फोसाइट्स दो तरह के होते हैं T लिम्फोसाइट्स सैल्स और B
लिम्फोसाइट्स सैल्स
T-लिम्फोसाइट्स सैल्स
T लिम्फोसाइट्स सैल्स हमारे
शरीर के इम्यून सिस्टम का वह भाग होते हैं जो ट्यूमर सैल्स और इंफेक्टेड
सैल्स को खत्म करने का काम करते है।
T सैल्स तीन प्रकार के होते हैं पहला
किलर T सैल्स जो बाहरी एंटीजन, संक्रमित सैल्स या असामान्य सैल्स से जुड़कर
उसकी सेल्स मेंब्रेन यानी की सेल की बाहरी झिल्ली में छेद कर देते हैं और
उसे नष्ट कर देते हैं।
दूसरा होता है हेल्पर T सेल्स जो B सेल्स को
एंटीबॉडी बनाने में सहायता करते हैं और किलर सेल्स को एक्टिवेट कर देते
हैं।
तीसरा होता है सप्रेसर T सैल्स जो किसी बाहरी हमले में को खत्म होने
का संदेश देते हैं। यह हमारे इम्मून सिस्टम को यह संदेश भी देते हैं की अब
संक्रमण खत्म हो चुका है।
B-लिम्फोसाइट्स सैल्स
B
लिम्फोसाइट्स सैल्स एंटीबॉडीज बनाते हैं और वायरस, बैक्टीरिया और अन्य
प्रकार के बाहरी हमलावर को शरीर में संक्रमण करने से रोकते हैं।
लिम्फोसाइट कितना होना चाहिए - Normal Value of Lymphocytes in Hindi
लिम्फोसाइट्स
की नॉर्मल वैल्यू उम्र, लिंग, स्थान, लाइफ स्टाइल और जाति पर निर्भर करती
है।
एक सामान्य व्यस्क के 1 माइक्रोलीटर ब्लड में 1,000 से 4,800 तक के
लिम्फोसाइट होते हैं।
वहीं बच्चों में यह 3,000 से 9,500 तक होती है।
लिम्फोसाइट्स की सटीक वैल्यू जानने के लिए अपने ब्लड रिर्पोट में दी हुई
रेंज को पढ़ें।
लिम्फोसाइट्स कहां बनते हैं - Where Lymphocytes are Formed in Hindi
लिम्फोसाइट्स
हमारी बोन मैरो में बनते हैं। जब यह पूरी तरह विकसित हो जाते हैं तब यह
हमारे ब्लड में आ जाते हैं।
जो लिम्फोसाइट्स थाइमस ग्लैंड में चले जाते हैं
वो T सैल्स बन जाते हैं और जो लिम्फ नोड या अन्य भाग में रहते हैं वो B
सेल्स बन जाते हैं।
लिम्फोसाइट्स रेड ब्लड सेल्स से बड़े होते हैं। इनके
बीच में एक केंद्र होता है और यह बैंगनी रंग के होते हैं।
हमारे व्हाइट
ब्लड सैल्स का 20% से 40% तक का भाग लिम्फोसाइट हो होते हैं।
लिम्फोसाइट लेवल ज्यादा होने पर क्या होता है - Lymphocytes High in Blood Test in Hindi
लिम्फोसाइट्स
बढ़े होने का मुख्य कारण शरीर में संक्रमण (Infection) या कोई बीमारी होता
है।
लिम्फोसाइट्स बढ़े होने को लिम्फोसाइटोसीस (Lymphocytosis) कहते हैं। यह निम्न बीमारियों में बढ़ जाते हैं जैसे
1) शरीर में कोई बैक्टिरियल या वायरल संक्रमण (इंफेक्शन)
2) हेपेटाइटिस
3) सिफिलिस
4) टीबी
5) एचआईवी या एड्स
6) हाइपोथायराइडिज्म
7) ब्लड कैंसर
8) ट्यूमर
9) परजीवी का संक्रमण
10) किसी दवाई का रिएक्शन
11) अत्यधिक तनाव
लिम्फोसाइट्स कम होने का क्या मतलब है - Lymphocytes Low Causes in Hindi
लिम्फोसाइट्स
की संख्या जब 1,000 से कम हो जाती है तो इसे लिम्फोसाइटोपेनिया
(Lymphocytooenia) कहते हैं।
इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे हमारा शरीर
उचित मात्रा में लिम्फोसाइट नहीं बना पा रहा है या लिम्फोसाइट लिंफ नोड से
बाहर नहीं आ पा रहे हैं।
इसके अलावा कुछ बीमारियों में भी यह कम हो जाता है
जैसे
1) वायरल हेपटाइटिस
2) ऑटो इम्यून डिजीज
3) स्टीरॉयड का सेवन
4) ब्लड कैंसर
5) कीमोथेरेपी
6) टीबी
7) एड्स
8) कुपोषण
9) इन्फ्लूएंजा
टीबी, एड्स या किसी वायरल इन्फेक्शन होने पर लिम्फोसाइट घट भी सकते हैं और बढ़ भी सकते हैं।
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ब्लड टेस्ट