क्या डायलिसिस एक बार शुरु होने के बाद बंद हो सकती है तो इस प्रश्र का एक आसान सा उत्तर है नहीं!
एक बार अगर डायलिसिस शुरू हो जाए तो कभी बंद नही हो सकती। यह एक जीवन पर्यन्त चलने वाली मेडीकल कंडीशन है।
आईए विस्तार से समझते हैं डायलिसिस के बारे में
डायलिसिस क्या होती है
हमारे शरीर में किडनी का मुख्य काम होता है शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को छान कर बाहर निकालना, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना, कुछ हार्मोन स्त्रावित करना और शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बना कर रखना।
हमारी किडनी में छोटे-छोटे फिल्टर होते हैं जिन्हें हम नेफ्रॉन (Nephron) कहते हैं और यह करोड़ों की संख्या में होते हैं।
नेफ्रॉन ही ब्लड में मौजूद सारी गंदगी को साफ करते हैं और ब्लड में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखते हैं।
जब किसी कारणवश यह नेफ्रॉन डैमेज हो जाते हैं तो किडनी ब्लड से हानिकारक पदार्थों को बाहर नहीं निकाल पाती है और ये विषैले तत्व हमारे शरीर में ही जमा होने लगते हैं।
डायलिसिस एक तरह से किडनी का ही काम करती है। यह हमारे शरीर से हानिकारक पदार्थों को छानने का काम करती है।
डायलिसिस में हमारे शरीर में एक छोटा सा छेद करके शरीर का ब्लड डायलिसिस मशीन से गुजारा जाता है जहां डायलिसिस मशीन शरीर के ब्लड को साफ करके फिर से वापस शरीर में भेज देती है।
इस पूरी प्रक्रिया में औसतन 4 घंटे लग जाते हैं और मरीज को हफ्ते में तीन बार डायलिसिस करवानी पड़ती है।
डायलिसिस मुख्यता दो प्रकार की होती है हीमोडायलिसिस और पेरिटोनियल डायलिसिस।
हीमोडायलिसिस सबसे सामान्य प्रकार की डायलिसिस है और इसमें मरीज के ब्लड को डायलीसिस मशीन में भेजकर साफ किया जाता है और फिर साफ ब्लड वापस शरीर में भेज दिया जाता है।
पेरिटोनियल डायलिसिस में हमारे पेट के निचले हिस्से में छोटा सा छेद करके एक खास पदार्थ पेट में डाल दिया जाता है जो पेट के अंदर ही ब्लड को साफ किया करता है।
यह हमारे ब्लड में मौजूद हानिकारक पदार्थों को सोख लेता है और फिर इसे बाहर निकाल दिया जाता है।
यह बहुत ही आसान प्रक्रिया है और थोड़े से प्रैक्टिस के बाद मरीज इसे घर पर खुद ही कर लेता है।
यह कहीं भी आसानी से हो सकती है। इसमें मरीज को खुद ही रोज डायलिसिस करनी पड़ती है।
क्या हम डायलिसिस बंद कर सकते हैं
नहीं, डायलिसिस बंद करना आपके जीवन के लिए बहुत खरतनाक साबित हो सकता है।
एक बार डायलिसिस शुरू होने के बाद बंद नहीं हो सकती।
कुछ मरीजों में जिनको किसी एक्यूट बीमारी के कारण किडनी ने काम ढंग से काम करना बंद कर दिया हो, उनको सिर्फ कुछ समय के लिए डायलीसिस चलती है और जब किडनी वापस काम करने लगती है तो डायलिसिस बंद कर दिया जाता है।
यह अधिकतर मामलों में किसी अचानक होने वाली बीमारी, कोई चोट या बुखार होने पर होता है।
डायलिसिस डॉक्टर तब रोकने को बोलता है जब मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट करना होता है।
अगर सरल शब्दों में कहें तो एक बार किडनी डायलिसिस शुरू हो गई तो यह जीवन भर चला करती है, इसको रोकने का एक ही तरीका है किडनी ट्रांसप्लांट।
डायलिसिस शुरु होने पर इंसान औसतन 10 साल तक जीवित रहता है।
यह समय मरीज की उम्र, किडनी की स्थिति के अनुसार कम या ज्यादा भी हो सकता है।
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