हमारी नसों में
वाल्व होते हैं जो ब्लड को हार्ट की ओर भेजने में सहायक होते हैं।
जब किसी
कारणवश यह वाल्व कमजोर हो जाते हैं या डैमेज हो जाते हैं तो ब्लड वापस नसों
में जानें लगता है और एक जगह इखट्ठा होने लगता है।
इसकी वजह से नसें सूज
जाती हैं इन्हें ही हम वैरिकोज वेन्स (Varicose Veins) कहते हैं।
वैरिकोज वेन्स (Varicose Veins) पूरे शरीर
में कहीं भी हो सकती हैं लेकिन यह अधिकतर पैरों में ही होती हैं।
पाइल्स
यानी की बवासीर भी एक तरह की वेरीकोज वेन्स (Varicose Veins) ही होता है।
जब ये नसें सूजी और
मुड़ी हुई दिखाई देने लगती हैं तो इन्हें स्पाइडर वेन्स कहा जाता है।
अधिकतर मामलों में वेरीकोज वेन्स (Varicose Veins) कोई समस्या नहीं करती लेकिन जब इसके लक्षण
दिखाई देना शुरू हो जाते हैं तब जरुर आपको इसका ईलाज शुरू कर देना चाहिए।
वैरिकोज वेन्स (Varicose Veins) के लक्षण
1) फूली हुई, मुड़ी हुई, गुच्छों में बैंगनी रंग की नसे दिखाई देना
2) पैरों में सूजन
3) पैरों में दर्द बना रहना
4) पैरों में ऐंठन
5) लगातार पैर हिलाने की आदत बनना
6) नसों का उभर कर दिखाई देना
7) पैरों में जलन होना
8) पैरों में खुजली होना
9) लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने पर दर्द होना
10) पैरों में आसानी से ना ठीक होने वाले घाव बनना
वेरीकोज वेन्स (Varicose Veins) के कारण
1) लंबे समय तक खड़ा रहना या बैठना
2) बढ़ती उम्र
3) वेरीकोज वेन्स का पारिवारिक इतिहास
4) गर्भावस्था
5) मोटापा
6) शारीरिक रूप से सक्रिय ना होना या व्यायाम ना करना
7) ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर होना
8) हाई ब्लड प्रेशर
9) महिलाओं को वेरीकोज वेन्स की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है।
वेरीकोज वेन्स (Varicose Veins) से बचने के उपाय
1) वजन नियंत्रित रखें
2) शारीरिक श्रम करें
3) ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें
4) अधिक समय तक एक ही जगह पर खड़े या बैठे ना रहें
5) भोजन में विटामिन C जरूर शामिल करें
6) भोजन में फाइबर अधिक मात्रा में लें
7) टाईट मोजे और ऊंची हील्स के जूते या सैंडिल ना पहने
वरिकोज वेन्स (Varicose Veins) कितने प्रकार की होती है
वेरीकोज वेन्स मुख्यता 5 प्रकार की होती हैं
पेल्विक वैरिकोज वेन्स (Pelvic Varicose Veins) - इस तरह की वेरीकोज वेन्स महिलाओं में पेल्विक रीजन के आसपास होती है।
यह अधिकतर गर्भावस्था के कारण होती है और इसकी वजह से पेल्विक एरिया में दर्द, सूजन और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
स्पाइडर वेन्स (Spider Veins) - यह छोटी और फैली हुई नसे होती हैं जो त्वचा के ऊपरी भाग में दिखाई देती हैं।
यह लाल या बैंगनी रंग की होती हैं और गुच्छों में होती हैं। यह देखने में मकड़ी के जाले की तरह लगती हैं इसलिए इन्हें स्पाइडर वेन्स कहते हैं।
यह अधिकतर पैर, चेहरे, हाथ और कमर के आस पास होती हैं।
रेटिकुकर वरिकोज वेन्स (Reticular Varicose Veins) - यह छोटे और नीले या हरे रंग की नसें होती हैं।
यह अधिकतर स्पाइडर वेन्स के साथ ही दिखाई देती हैं। इनका आकार भी जालों की तरह होता है।
स्मॉल सफेनौस वेन्स वैरिकोसाइटिस (Small Saphenous Vein Varicosities) - यह एक बड़ी नस होती है जो पैरों से लेकर घुटनों तक जाती है।
यह पैरों की नसों के वाल्व में समस्या के कारण होती है। इसमें सूजी हुई, बड़ी और मुड़ी हुई नस दिखाई देती है।
ग्रेट सफेनौस वेन्स वैरिकोसाइटिस (Great Saphenous Vein Varicosities) - यह हमारे शरीर की सबसे बड़ी नस होती है।
इसके वॉल्व में जब समस्या होती है तो यह बड़ी, मुड़ी हुई और उभरी नस दिखाई देती है।
यह नस एक एक हमारे दोनों पैरों में होती हैं।
वेरीकोज वेन्स (Varicose Veins) का उपचार
अगर वेरीकोज वेन्स में पहले तो डॉक्टर मरीज को लाईफ स्टाईल में परिवर्तन करने को बोलता है और कुछ दवाईयां देता हैं।
अगर आराम ना मिले तो सर्जरी या इंजेक्शन का सहारा लेता है जैसे
स्क्लेरोथेरैपी (Sclerotherapy) - इस प्रक्रिया में दवाई से भरा हुआ इंजेक्शन प्रभावित नस में लगाया जाता है।
यह छोटी वेरीकोज वेन्स और स्पाइडर वेन्स के लिए बहुत ही प्रभावी उपचार है।
EVLA (Endovenous Laser Ablation) - इस प्रक्रिया में एक लेजर फाइबर नस में डाल दिया जाता है और इसे एक्टिवेट कर दिया जाता है।
लेजर फाइबर गर्म होकर प्रभावित नस को खत्म करके बंद कर देता है।
इसका इस्तेमाल बड़ी नसों पर किया जाता है और इसका सक्सेस रेट बहुत अधिक है।
RFA (Radio Frequency Ablation) - यह EVLA की तरह ही होता है लेकिन इसमें लेजर की जगह रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल किया जाता है।
यह प्रभावित नस को खत्म करके बंद कर देती है। यह तरीका भी काफी सफल है।
VSL (Vein Stripping and Ligation) - इस प्रक्रिया में सर्जरी होती है और प्रभावित नस को एक छोटा सा चीरा लगा कर काट कर हटा दिया जाता है।
यह तरीका तब अपनाया जाता है जब सारे प्रयास असफल हो जाते हैं। गंभीर मामलों में यही तरीका अपनाया जाता है।
एंबुलेटरी फेलबेक्टमी (Ambulatory Phlebectomy) - इस तरीके में प्रभावित नस में एक छोटा सा छेद करके नस को हटा दिया जाता है।
यह छोटी नसों में अधिक प्रभावी होता है।
एंडोसिपिक वेन सर्जरी (Endoscopic Vein Surgery) - यह बहुत ही कम की जाती है, यह तब अधिक प्रभावी होती है जब नस में घाव हो जाता है।
इसमें नस में एक महीन पाइप जिसमें कैमरा लगा होता है डाल कर प्रभावित नस का ईलाज किया जाता है।
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