डोमपरिडोन (Domperidone) उल्टी होने और एसिड रिफ्लक होने पर सबसे ज्यादा दी जाने वाली दवाई है।
यह अधिकतर प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर (PPI) के साथ दी जाती है।
डोमपरिडोन किस बीमारी में दी जाती है - Domperidone Tablet Uses in Hindi
1) उल्टी या उल्टी होने की फीलिंग में
2) गैस्ट्रोपरेसीस
(Gastroparesis) इसमें खाना आंतो में बहुत देर तक पड़ा रहता है जिसकी वजह
से पेट फूलना, उल्टी और पेट में भारीपन जैसे लक्षण महसूस होते हैं।
3) डिसपेप्सिया (Dispepsia) इसको अपच भी कहते हैं। इसमें खाना जल्दी पचता नहीं है और आंतों की चाल धीमी हो जाती है।
4) रिफलक्स
एसोफैगिटिस (Reflux Esophagitis) इसमें हमारे पेट का खाना उल्टी दिशा में
चलकर खाने की नली से मुंह में आने लगता है।
जिसकी वजह से सीने में जलन और
दर्द सा महसूस होता है।
डोम्पेरिडोन (Domperidone) किस तरह काम करती है
डोम्पेरिडोन (Domperidone) हमारे शरीर में दो जगह काम करता है पहला दिमाग में किमोरिसेप्टर्स ट्रिगर जोन (CTZ) और दूसरा पेट में पेरीफेरल टिश्यू (Peripheral Tissue) में।
CTZ हमारे ब्रेन के मेडुला ओबलेंगेटा (Medulla Oblongata) नामक हिस्से का एक भाग होता है।
यह उल्टी को शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब CTZ उत्तेजित होता है तो यह शरीर को उल्टी करने का आदेश देता है।
यह उत्तेजना किसी भी कारण से हो सकती है जैसे बीमारी के कारण, किसी केमिकल के कारण, किसी विषैले पदार्थ के कारण ईत्यादि।
डोमपेरीडोन हमारे ब्रेन के CTZ वाले हिस्से में D2 रिसेप्टर्स (Dopamine Receptors) को ब्लॉक कर देता है।
जिससे CTZ उत्तेजित नहीं हो पाता और मरीज को उल्टी नहीं आ पाती है।
D2 रिसेप्टर्स हमारे आंतों की स्मूथ मसल्स में भी पाया जाता है।
डोमपेरीडोन आंतों में पाए जाने वाले D2 रिसेप्टर्स को भी ब्लॉक कर देता है।
D2 रिसेप्टर्स हमारी आंतो की चाल को नियंत्रित करता है। जब D2 रिसेप्टर्स ब्लॉक हो जाते हैं तो आंतों की चाल तेज हो जाती है।
जिसकी वजह से खाना तेजी से पेट से आंतों और फिर कोलोन तक पहुंच जाता है।
इस तरह यह हानिकारक पदार्थ को शरीर के बाहर निकलने के लिए उत्तेजित करता है।
डोमपेरीडोन हमारे पेट में पाए जाने वाले एक तरह के वाल्व (Lower Esophageal Sphincter LES) को बार बार खुलने और बंद होने से रोकता है।
जिसकी वजह से मरीज को बार बार उल्टी आने की फीलिंग नहीं महसूस होती है।
LES को कंट्रोल करने में भी D2 रिसेप्टर्स की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डोमपेरीडोन यहां भी D2 रिसेप्टर्स को ब्लॉक कर देती है।
जिसकी वजह से LES बार बार नही खुलता और रिफ्लक्स नहीं आते हैं।
हालांकि डोमपेरीडोन का कुछ हिस्सा ही ब्लड ब्रेन बैरियर को क्रॉस कर पाता है इसलिए इसलिए यह CTZ पर कम प्रभाव डालती है और आंतों में पाई जाने वाली स्मूथ मसल्स पर अधिक प्रभाव डालती है जिसकी वजह से उल्टी नियंत्रित होती है।
डोमपेरीडोन (Domperidone) के साईड इफैक्ट्स
डोमपेरीडोन (Domperidone) के साईड इफैक्ट्स बहुत कम दिखाई देते हैं लेकिन कुछ मरीजों में इसके साईड इफैक्ट्स हो सकते हैं जैसे
1) बोलने में दिक्कत होना
2) शरीर का संतुलन बनाने में दिक्कत होना
3) चक्कर आना
4) हृदय गति अनियमित हो जाना
5) मुंह में सूजन आना
6) मुंह सूखना
7) शरीर में खुजली होना
8) डायरिया
9) सिर दर्द होना
डोमपेरीडोन (Domperidone) की डोज
डोमपेरीडोन को 35 किलोग्राम से कम वजन के व्यक्तियों को नहीं देना चाहिए।
डोमपेरीडोन की डोज 10 mg दिन में तीन बार यानी की TID देना चाहिए।
एक दिन में अधिकतम 30 mg तक दे सकते हैं। इससे अधिक देने पर
डोमपेरीडोन के साईड इफैक्ट्स होने शुरु हो जायेंगे।
35 किलोग्राम से ऊपर वजन के बच्चों में व्यस्कों वाली ही डोज देनी चाहिए।
डोमपेरीडोन को खाली पेट या खाना खाने के 20 मिनट्स पहले लेना चाहिए तभी यह अपना पूरा प्रभाव दिखा पाती है।
डोमपेरीडोन (Domperidone) किसको नहीं लेना चाहिए
1) 35 किलो से कम वजन वाले मरीजों को
2) आंतों में ब्लॉकेज वाले मरीज को
3) किडनी या लिवर के मरीजों को
4) जल्द ही हर्निया या पेट की सर्जरी करवाए हुए मरीजों को
5) पेट में इंटर्नल ब्लीडिंग होने पर
6) पीयूष ग्रन्थि में ट्यूमर होने पर
7) अनियमित हृदय की धड़कन के मरीज को
8) गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को
डोमपेरीडोन (Domperidone) किन दवाओं के साथ इंटरेक्शन करती है
नीचे लिखी गई दवाओं के साथ डोमपेरीडोन (Domperidone) नहीं देना चाहिए।
जैसे Bepridil, Cisapride, Darunavir, Dronedarone, Fluconazole, Ketoconazole, Levoketoconazole, Mesoridazine, Pimozide, Piperaquine, Posaconazole, Saquinavir, Sparfloxacin, Terfenadine, Thioridazine, Ziprasidone
डोमपेरीडोन (Domperidone) कितनी देर में असर करना शुरू करती है
डोमपेरीडोन को अपना असर दिखाने में 60 मिनट्स लग जाते हैं। इसकी बायोएविलेबिलिटी सिर्फ 15% होती है।
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