लेजी आई आंख का एक ऐसा विकार है जिसमें एक आंख तो स्वस्थ रहती है लेकिन दूसरी आंख कमजोर हो जाती है जिसकी वजह से मरीज को धुंधला दिखाई देने लगता है।
इसे एम्बलाइयोपिया (Amblyopia) कहते हैं। लेजी आई में एक आंख कमजोर होती है और एक आंख नॉर्मल रहती है।
समय के साथ साथ हमारा ब्रेन कमजोर आई को इग्नोर करने लगता है और अपने पूरे सिग्नल नॉर्मल आई से लेने लगता है जिसकी वजह से कमजोर आई और कमजोर होती जाती है और फिर उससे दिखना बंद हो जाता है।
कई बार लेजी आई से दोनों आंख भी प्रभावित हो सकती हैं।
विश्व में प्रत्येक 100 में से 3 लोगों को यह विकार होता है।
यह दोष अधिकतर बच्चों में होता है खासकर 6 से लेकर 9 साल की उम्र में, अगर समय पर इसको पहचान कर इसका ईलाज करवा लिया जाए तो यह ठीक हो जाती है।
ईलाज ना करवाने पर यह आंख की रोशनी छीन सकती है।
लेजी आई के लक्षण - Lazy Eye Symptoms in Hindi
लेजी आई (Lazy Eye) के लक्षण इस बीमारी की गंभीरता और कारण पर निर्भर करते हैं। जैसे
1) नजर कमजोर होना
2) एक ही आंख या एक ही तरफ से देखने की आदत होना
3) तिरछा देखना
4) गहराई या दूरी का अंदाजा ना लगा पाना
5) कोई भी शारीरिक एक्टिविटी करते हुए सिर हिलाना
6) बार बार आंख रगड़ना या आंख झपकाना
लेजी आई का कारण - Lazy Eye Causes in Hindi
स्ट्रेबिसमस
(Strabismus) - जब मरीज की दोनों आंखे संतुलित नहीं होती हैं या सही से
एलाइन नहीं (Misalignment) होती हैं तो लेजी आई की दिक्कत होती है।
इसकी
वजह से दिमाग एक आंख पर अधिक फोकस करता है और दूसरी आंख पर फोकस नहीं करता
जिससे दूसरी आंख कमजोर हो जाती है और उससे धुंधला दिखने लगता है।
ईलाज ना
करवाने पर धीरे धीरे करके यह कमजोर आंख की पूरी रोशनी खत्म कर देता है।
रिफ्रेक्टिव एरर्स (Refractive Errors) - जब दोनों
आंख में से किसी एक आंख में दूर दृष्टि दोष या निकट दृष्टि दोष में पॉवर का
अंतर अधिक होता है तब भी लेजी आई की समस्या हो जाती है।
जैसे मान लिजिए की
आपकी एक आंख की चश्में का पॉवर +0.5 है और दूसरी आंख का पॉवर +2.5 है, इस
स्तिथि में लेजी आई होने की संभावना अधिक होती है।
ब्लॉकेज (Deprivation Amblyopia) - यह तब होता है जब
हमारी एक आंख में ब्लॉकेज होता है है जिसकी वजह से रेटीना तक पिक्चर नहीं
पहुंच पाती।
यह अधिकतर मोतियाबिंद, एक आंख की पलक का बंद होना (Ptosis) या
आंख की किसी अन्य संरचना में गड़बड़ी के कारण होता है।
एक आंख का कम इस्तेमाल करना (Unequal Visual
Input) - जब किसी कारणवश या आंख की बीमारी की वजह से हम एक आंख का अधिक
इस्तेमाल करते हैं तो दूसरी आंख में यह दिक्कत हो जाती है।
लेजी
आई होने के कुछ अन्य कारण भी हैं जैसे विटामिन ए की कमी होना, आंख में चोट
लगना, आंख की सर्जरी होना या ग्लूकोमा हो जाना, इनकी वजह से भी लेजी आई की
दिक्कत हो सकती है।
लेजी आई का ईलाज - How to Fix a Lazy Eye in Hindi
पैचिंग (Patching) - इसमें जो आंख सही होती है उस आंख के ऊपर एक पैच लगा दिया जाता है।
जिसकी वजह से दिमाग को लेजी आई पर फोकस करना पड़ता है और इसकी वजह से लेजी आई धीरे धीरे करके ठीक हो जाती है।
यह एक बहुत ही आसान और सबसे अधिक अपनाई जानें वाली प्रक्रिया है।
विजन थेरेपी (Vision Therapy) - इसमें विशेष तरीके से आंखो की एक्सरसाइज कराई जाती है।
डॉक्टर मरीज को कुछ खास तरह की आंख की एक्सरसाइज बताता है जो आंखों की कमजोर नसों और विजन के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं।
लेंस (Corrective Lenses) - लेजी आई में लेंस या चश्मा भी
इस्तेमाल किया जाता है।
यह मरीज की आंख की कंडीशन के आधार पर डॉक्टर निर्णय
लेता है।
एट्रोपिन आई ड्रॉप (Atropine Eye Drops) - जो लोग पैच नहीं
इस्तेमाल करना चाहते उनको डॉक्टर एट्रोपिन आई ड्रॉप लिखता है।
यह आई ड्रॉप
मजबूत आंख में डाला जाता है ताकि दिमाग कमजोर आंख पर अधिक फोकस कर पाए और
कमजोर आंख का विजन ठीक हो जाए।
यह आंख की पुतलियों को फैला देता है जिसकी
वजह से मजबूत आंख से कुछ समय के लिए साफ नहीं दिखाई देता।
यह एक तरह से
पैचिंग ही होती है। लेकिन इस उपचार की खराबी यह है की यह आई ड्रॉप अधिकतम
15 दिन से 20 दिन तक ही डाल सकते हैं।
सर्जरी (Surgery) - जब डॉक्टर को लगता है की कोई भी थेरैपी या दवाई काम नहीं आ रही है तो अंत में इसकी सर्जरी की जाती है।
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